प्रकाश सिंह
लखनऊ: ‘तुम्हारा शहर, तुम्ही मुद्दई, तुम्ही मुंसिफ हम जानते हैं हमारा कसूर निकलेगा।’ यह पंक्ति यूपी पुलिस पर एकदम सटीक बैठती है। अपराधियों पर ताबड़तोड़ पुलिस की कार्रवाई से भले ही योगी सरकार अपनी और पुलिस की पीठ थपथपा ले, लेकिन इसका दूसरा पक्ष बेहद डरावना है। यूपी पुलिस से अपराधी से ज्यादा आम आदमी खौफ खा रहा है, क्योंकि सही को गलत और गलत को सही करना इन्हीं के हाथ में हैं। पुलिस लोगों के साथ कैसा वर्ताव करती है यह आजमगढ़ के एसपी सुधीर कुमार के वायरल हो रहे वीडियो को देखकर समझा जा सकता है। दुष्कर्म की घटना की शिकायत लेकर पहुंचे पीड़ित परिवार की बात सुनने की जगह एसपी सुधीर कुमार सिंह ने फरियादी को हिरासत में ले लिया। फरियादी का कसूर सिर्फ इतना था कि वह अपनी बात कहने के लिए एसपी सुधीर कुमार सिंह की गाड़ी रोकने की कोशिश की थी। एसपी ने तैश में आकर सरेराह पीड़ित पक्ष के लोगों को कई थप्पड़ भी जड़ दिए।
हालांकि मामला तुल पकड़ने पर एसपी सुधीर कुमार सिंह ने पूरे मामले को पलटते हुए सफाई दे रहे हैं कि युवक उनकी गाड़ी के सामने लेट गया था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि थाने पर फरियाद न सुने जाने पर क्या कोई उच्च अधिकारियों के पास न जाए। मामला आजमगढ़ के रौनापार थाना क्षेत्र का है। यहां के एक महिला ने आरोप लगाया है कि 8 अक्टूबर को उसकी आठ वर्षीय बेटी सामान लेने दुकान पर जा रही थी। रास्ते में दीपक पासवान नाम के युवक ने उसके साथ छेड़छाड़ की, जिसका बच्ची ने विरोध किया था। दीपक पासवान ने उसी रात बच्ची का अपहरण कर लिया और उसके साथ दुष्कर्म किया। अगले दिन बच्ची बेहोशी की हालत में गांव के बाहर सड़क पर पड़ी मिली।
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बच्ची को इलाज के लिए चक्रपाणिपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। पीड़ित परिवार ने रौनापार थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। रौनापार पुलिस ने न्याय दिलाने के बजाय पीड़ित पक्ष पर समझौता करने का दबाव बनाने लगी। इससे परेशान होकर पीड़ित पक्ष ग्रामीणों के साथ एसपी कार्यालय पहुंच गए।
इस दौरान एसपी के निकलते ही पीड़ित परिवार उनकी गाड़ी के सामने लेट गया। इससे नाराज एसपी सुधीर कुमार गाड़ी से उतर कर पीड़ित पक्ष के साथ अभद्रता करते हुए कई थप्पड़ जड़ दिए। वहीं एसपी का कहना है कि पीड़ित पक्ष ने उनकी गाड़ी पर पत्थर फेंके थे इसलिए उन्हें हिरासत में लिया गया। वहीं इस मामले को लेकर लोगों में काफी आक्रोश है। लोगों को कहना है कि इस मामले में यह समझपाना मुश्किल हो रहा है कि घटना वीभत्स है या पुलिस का चेहरा।
फिलहाल यह पुलिस महकमे का नया मामला नहीं है, ऐसे कई कारनामों को लेकर यूपी पुलिस पूरे देश में सुर्खियों में है। आलम यह है कि आम आदमी खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में असुरक्षित महसूस कर रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण कानुपर के रियल स्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता हत्याकांड है। मनीष गुप्ता की हत्या बदमाशों ने नहीं बल्कि वर्दीधारी गुंडों ने की। हद तो तब हो गई जब ऐसे अपराधियों के बचाव में गोरखपुर के डीएक और एसपी दलील देते देखे गए थे।
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