Prabhakaran: लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण (Prabhakaran) के जिंदा होने के दावे ने एक बार फिर से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की हत्या की याद दिला दी है। राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) को धोखा देने वाला कोई और नहीं लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण (Prabhakaran) ही था। प्रभाकरण वहीं था, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने अपनी बुलेट प्रूफ जैकेट उपहार में दे दी थी। श्रीलंका में अलगाववादी गुट लिट्टे (The Liberation Tigers of Tamil Eelam) के प्रमुख प्रभाकरण (Prabhakaran) से राजीव गांधी की मीटिंग हुई थी, जिसमें उसने समझौता करते हुए आंदोलन खत्म करने का वादा किया था। लेकिन बाद में प्रभाकरन ने धोखा दे दिया।

बताया जाता है कि प्रभाकरण के साथ मीटिंग में राजीव गांधी ने उसे अपनी बुलेट प्रूफ जैकेट उपहार में दे दिया था। उस समय राजीव गांधी या उनके अपनों ने यह नहीं सोचा था कि यही प्रभाकरण धोखे से उनकी जान लेगा। राजीव गांधी से प्रभाकरण की मुलाकात मौजूदा समय में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कराई थी। उस समय वह भारतीय विदेश सेवा में कार्यरत थे।

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इंदिरा गांधी की बड़ी भूल ने लिट्टे को किया मजबूत

प्रभाकरण (Prabhakaran) के बाद लिट्टे प्रमुख बने कुमारन पथमनाथन (केपी) ने मीडियाग्रोव के वीके शशिकुमार के साथ एक इंटरव्यू में बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने श्रीलंका सरकार के साथ पहले शांति की बातचीत शुरू की थी। भूटान के थिम्फू में बातचीत का लंबा दौर चला, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। वहीं उग्रवादी गुटों के सक्रिय होने पर उन्हें रॉ (RAW) की तरफ से ट्रेनिंग व मदद देने की भी बात सामने आई।

इतना ही नहीं कुमारन ने तो रॉ के सहयोग से तमिलनाडु में लिट्टे लड़ाकों के लिए ट्रेनिंग कैम्प्स स्थापित करने का भी दावा किया था। कुमारन के मुताबिक इंदिरा गांधी ट्रेनिंग कैम्प के जरिए लिट्टे को बढ़ावा देकर श्रीलंका सरकार पर दवाब बनाकर समझौता कराने की फिराक में थीं। उस समय उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उनकी यह उनकी यह गलती उन्हें इतनी भारी पड़ेगी कि उनके बेटे की ही जान चली जाएगी।

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प्रभाकरण (Prabhakaran) को लाने गए थे हरदीप पुरी

आतंक के मुद्दे पर इंदिरा गांधी ने कुछ ही वर्षों में काफी कुछ करना चाह रही थी, लेकिन वह कुछ नहीं कर पाईं। पंजाब के मामले में उलझीं और ब्लू स्टार ऑपरेशन चला दिया, जिसके चलते बाद में उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद लिट्टे से निपटने की जिम्मेदारी बेटे और तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के ऊपर आ गई। राजीव गांधी ने मां इंदिरा गांधी की कोशिश को आगे बढ़ाते हुए वह आंदोलन शांत करने के लिए समझौता करने के पक्ष में थे।

वर्ष 1986 में विदेश सेवा के अधिकारी रहे मंत्री हरदीप पुरी श्रीलंका सरकार से इजाजत मिलने के बाद वह दो हेलिकॉप्टर लेकर प्रभाकरण को दिल्ली लाए। उस समय प्रभाकरण को दिल्ली के अशोका होटल में ठहराया गया था। प्रभाकरण ने राजीव गांधी से समझौता करने से इनकार कर दिया। लेकिन राजीव गांधी का दवाब पड़ा तब प्रभाकरण ने समझौते के लिए हां कर दिया।

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समझौता होने के बाद प्रभाकरन को राजीव गांधी ने अपनी बुलेट प्रूफ जैकेट उपहार में दी थी। यह जैकेट राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी घर के अंदर से लेकर आए थे। लेकिन प्रभाकरण ने बाद में धोखा दे दिया। 21 मई, 1991 को रात करीब 10.20 तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के स्वागत में गीत गाया जा रहा था। धनु नाम की लड़की मानव बम बनकर कार्यक्रम में दाखिल हुई थी। उसकी उम्र करीब 30 वर्ष की रही होगी। हाथ में चंदन का एक हार लेकर वह पूर्व पीएम राजीव गांधी की तरफ बढ़ी और पैर छूने को जैसे ही झुकी, उसी समय जोरदार धमाका हुआ और उसके साथ राजीव गांधी के भी शरीर के चिथड़े उड़ गए।

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