नील कंठ का ध्यान कर
शिव को करिए याद।
हो सत्यम शिवम सुन्दरम
नित घर घर में संवाद।।
हित जिससे देवत्व का
मिलि कीजे सोई काज।
जिमि मानवता रक्षित रहे
सो प्रयत्न कीजिए आज।।
रावण रूपी आतंक है
नित शांति हरण ही काम।
भू से कलंक मिटाइए
न कहूँ रहे धरा पर नाम।।
आज दशहरा पर्व है
हो रावण विष का अंत।
विश्व शांति संकल्प हो
जगे शाश्वत सत्य अनंत।।
– बृजेंद्र
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