दीन दुखी के उर के भीतर, वर्मा करता सदा बसेरा।
और मरीजों की सेवा में सदा समर्पित जीवन मेरा।।

जनमानस की व्यथा देखकर मेरी आँखे भर आती है।
जड़ता दूर भगाने में ही मेरी संज्ञा सुख पाती है।।

मेरा जीवन अलग-थलग है सदा व्यथित का हाथ गहा हूँ।
मैं समाज के हर प्राणी के प्रति संवेदनशील रहा हूँ।।

डा. वर्मा भावुकता की धारा में ही, सदा बहा है।
सिर्फ कर्म की पूजा करना, जीवन का उद्देश्य रहा है।।

जीवन का अभिप्राय यही है, मैं समाज के आऊँ काम।
करूँ तपस्या, कर्मठता से खानदान का ऊँचा नाम।।

मानवीयता का पोषक हूँ, करता यही हमेशा आस।
जो आये खुशहाली दे दूँ, मेरा रहता यही प्रयास।।

डॉ. वीके वर्मा
सामाजिक कार्यकर्ता/आयुष चिकित्साधिकारी,
जिला चिकित्सालय बस्ती

इसे भी पढ़ें: पितृ पक्ष संस्कार

इसे भी पढ़ें: कीमत बड़ी चुकाई जरा से उधार की

Spread the news