पुनरोदय का समय आ गया,
आओ मिल कर दीप जलाएं।
लेकर संकल्प सिद्धि कर पूरी,
स्वाभिमान का भाव जगाएं।।
जो कुछ छूटा वह सब पायें,
जो हुए दूर उनको अपनाएं।
हो फिर से ये अखंड भारत,
टूटे तारों को पुनः मिलाएं।।
विश्व गुरु हो भारत फिर से,
संकल्प सिद्धि का करना होगा।
कठिन साधना तप पौरुष से,
पुनः भगीरथ बनाना होगा।।
अभियान चलाएं हम घर घर में,
मिल गांव नगर वन पार्वत जायें।
य़ह वसुधा है परिवार हमारा,
सम्पूर्ण विश्व को आज जगाएं।।
– बृजेंद्र
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