लखनऊ। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा की तिथि से नवरात्रि का पर्व आरंभ होगा। इस साल चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरु हो रहे हैं और नवमी तिथि 21 अप्रैल को पड़ेगी। नवरात्रि व्रत का पारण दशमी तिथि 22 अप्रैल को किया जाएगा। चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां के नौ स्वरूपों की अलग-अलग होती है। मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहते हैं कि मां दुर्गा की पूजा करने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

घटस्थापना के दिन बन रहे ये शुभ योग

इस साल चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन ग्रहों के शुभ संयोग से विशेष योग का निर्माण हो रहा है। प्रतिपदा की तिथि में विष्कुंभ और प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन विष्कुंभ योग दोपहर 03 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। प्रीति योग का आरंभ होगा। करण बव सुबह 10 बजकर 17 मिनट तक, उसके बाद बालव रात 11 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।

घटस्थापना के ये बन रहे शुभ मुहूर्त-

दिन- मंगलवार
तिथि- 13 अप्रैल 2021
शुभ मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक।
अवधि- 04 घंटे 15 मिनट
घटस्थापना का दूसरा शुभ मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक।

13 अप्रैल को आश्विन नक्षत्र और चंद्रमा मेष राशि में, बढ़ेगी नवरात्रि की शुभता

किस दिन कौन-सी देवी की होगी पूजा-

पहला दिन:       13 अप्रैल 2021,      मां शैलपुत्री पूजा
दूसरा दिन:       14 अप्रैल 2021,      मां ब्रह्मचारिणी पूजा
तीसरा दिन:      15 अप्रैल 2021,      मां चंद्रघंटा पूजा
चौथा दिन:       16 अप्रैल 2021,      मां कूष्मांडा पूजा
पांचवां दिन:     17 अप्रैल 2021,      मां स्कंदमाता पूजा
छठा दिन:      18 अप्रैल 2021,       मां कात्यायनी पूजा
सातवां दिन:    19 अप्रैल 2021,       मां कालरात्रि पूजा
आठवां दिन:    20 अप्रैल 2021,       मां महागौरी पूजा
नौवां दिन:      21 अप्रैल 2021,      मां सिद्धिदात्री पूजा
दसवां दिन:      22 अप्रैल 2021,      व्रत पारण

चैत्र नवरात्रि का महत्व

हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि का बड़ा महत्व है। मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए चैत्र नवरात्रि में माता के नौ रूपों की आराधना की जाती है। उनके लिए व्रत रखा जाता है। चैत्र नवरात्रि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ हो जाती है। इस दिन से हिन्दू नव वर्ष भी प्रारंभ होता है। मान्यता है कि इसी तिथि को ही सृष्टि की रचना हुई थी। इसके अलावा नवरात्रि की नवमी तिथि भी बेहद महत्वपूर्ण होती है। कहते हैं त्रेतायुग में इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। उन्होंने समस्त संसार को मर्यादा में रहकर अपने दायित्वों का निर्वहन कैसे करना है इसका पाठ पढ़ाया था। धार्मिक पक्ष के अलावा देखें तो नवरात्रि का यह पावन पर्व नारीशक्ति का भी प्रतीक है।

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