नई दिल्ली: भारत ने मिल्ख सिंह नाम के अपने नायाब हीरे को खो दिया। कोरोना के संक्रमण के चलते महान एथलीट मिल्खा सिंह अब हमारे बीच में नहीं रहे। रह गई है तो बस उनकी यादें। मिल्खा सिंह वह शख्सियत हैं जो न रह कर हमेशा हमारे बीच में मौजूद रहेंगे। हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरेणा देंगे। इसी लिए भारत की हर पीढ़ी उन्हें सलाम करती है। ओलंपिक खेलों में वह मेडल जीतने में भले ही रह गए थे, लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन से दुनिया में भारत का डंका बजवाया था।
In the passing away of Shri Milkha Singh Ji, we have lost a colossal sportsperson, who captured the nation’s imagination and had a special place in the hearts of countless Indians. His inspiring personality endeared himself to millions. Anguished by his passing away. pic.twitter.com/h99RNbXI28
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2021
मिल्खा सिंह को मिला था बंटवारे का दर्द
बता दें कि फ्लाइंग सिख नाम से मशहूर मिल्खा सिंह का जन्म वर्ष 1929 में पाकिस्तान के मुजफरगढ़ के गोविंदपुरा में हुआ था। उन्हें अपने जीवन में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। मिल्खा सिंह को भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त भारत आना पड़ा मगर उस समय उन्होंने 14 में से आठ भाई बहनों और माता-पिता को खो दिया। अपनी इन सब यादों के साथ वह भारत आए और भारतीय सेना में शामिल हो गए। सेना का हिस्सा बनना उनका सबसे अच्छा फैसला रहा। उनके इस फैसले ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी। एक क्रॉस-कंट्री रेस से उनकी प्रतिभा सामने आ गई। इस दौड़ में करीब 400 सैनिकों ने हिस्सा लिया था, जिसमें मिल्खा सिंह ने छठां स्थान हासिल किया।
इसी दौड़ के बाद उन्हें ट्रेनिंग के लिए चुना गया। तीन ओलंपिक 1956 मेलबर्न, 1960 रोम और 1964 टोक्यो ओलंपिक में वह शामिल हुए। उन्होंने रोम के 1960 ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा उन्होंने 1958 और 1962 के एशियाई खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता। वर्ष 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में उन्होंने पूर्व स्थापित ओलंपिक कीर्तिमान को तोड़ा, लेकिन पदक हासिल करने से चूक गए। इस समय उन्होंने ऐसा नेशनल कीर्तिमान बनाया था, जो करीब 40 वर्ष बाद जाकर टूटा।
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ऐसे पड़ा ‘फ्लाइंग सिख’ नाम
मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान में हुए एक इंटरनेशनल एथलीट में हिस्सा लिया था। यहा उनका मुकाबला पाकिस्तान के अब्दुल खालिक से हुआ। मिल्खा सिंह ने अब्दुल खालिक को हराकर न सिर्फ इतिहास रचा बल्कि भारत का नाम रोशन कर दिया। पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान मिल्खा सिंह के इस शानदार जीत के कायल हो गए और उन्होंने उन्हें ‘फ्लांइग सिख’ की उपाधि से नवाजा। राष्ट्रपति अयूब खान ने मिल्खा सिंह से कहा था कि आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो। इसलिए हम तुम्हे फ्लांइग सिख की उपाधि से नवाजते हैं।
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