नई दिल्ली। कोरोना काल में महाकुंभ का आयोजन हरिद्वार में होने जा रहा है, जिसके लिए दो माह से भी कम का समय बचा है। महामारी के दौर में कुंभ का सफल आयोजन कराना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते अधिकारियों का कहना है कि, 14 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ में भव्य कार्यक्रम नहीं होगा, उसे रद्द कर दिया गया है।

मेला प्रबंधन ने कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार की ओर से जारी दिशा निर्देशों को देखते हुए आयोजन करने की बात की है। कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत का कहना है कि, भीड़ का मैनेजमेंट सोशल डिस्टेंसिंग नियमों के तहत ही किया गया है। सीसीटीवी कैमरों की मदद से सभी नियमों का पालन कराया जाएगा। उत्तराखंड सरकार भारी मात्रा में मास्क की खरीदारी करेगी। वहीं कोरोना संक्रमण को देखते हुए एक हजार प्री फैब्रीकेटेड बेड और पचास इमरजेंसी बेड बनाए जा रहे हैं।

कुंभ मेला हरिद्वार में 12 वर्ष में एक बार आयोजित होता है, वर्ष 2010 में जब मेला आयोजित हुआ था तो कुंभ मेला में 1 करोड़ 62 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई थी। 80 वर्ष बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है कि, 12 वर्ष की वजह इस बार 11 वर्ष बाद ही कुंभ मेला हरिद्वार में हो रहा है। जिसका समापन अप्रैल माह में होगा।

कुंभ मेला के दौरान गंगा में प्रदूषण पर काबू पाना बड़ी चुनौती होगा, इसकी जिम्मेदारी स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन को सौंपी गई है। बुनियादी ढांचे के काम करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने उत्तरखंड सरकार 85 करोड़ रुपए दिए हैं। हर की पौड़ी के नवीनीकरण के लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड फंड जारी किया है। हर की पौड़ी घाट के दबाव कम करने के लिए हरिद्वार के नजदीक एक किलोमीटर नया लंबा चांदीघाट बनाया गया है।

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