अभयराम यादव
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की सत्ता संभालते ही कई बदलाव कई थे, जिससे लोगों को लगने लगा था कि ‘योगी’ का शासन औरों से बढ़ियां होगा। शुरुआती दिनों ऐसा देखने को भी मिला, लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया सीएम योगी पर नौकरशाही हावी होती चली गई। आलम यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जमीनी हकीकत को छोड़कर बाकी सबकुछ दिखने लगा। हालांकि उनकी तरफ से जमीनी हकीकत परखने की कोशिश जारी है। वह लगातार जिलों का दौरा कर रहे है, लेकिन उन्हें दिखाई वही दे रहा है, जो नौकरशाही चाहती है। सीएम योगी जन जनसमस्याओं की सुनवाई के लिए सीएम हेल्पलाइन 1076 लांच किया था। लोगों को लगने लगा था कि इस पर शिकायत दर्ज कराने से उनकी समस्या का निदान हो जाएगा, लेकिन 4 वर्षों में यह हेल्पलाइन शिकायत दर्ज करने से आगे नहीं बढ़ पाई।
एक भी शिकायत का नहीं हुआ निस्तारण
मुख्यमंत्री की तरफ से सीएम हेल्पलाइन से लोगों की शिकायतों के निस्तारण के दावे तो खूब किए जा रहे हैं, पर सच यह है कि इस हेल्पलाइन के माध्यम से आज तक एक भी शिकायत का निस्तारण नहीं हुआ। कोरोना की पहली लहर के दौरान जब पूरा देश लॉकडाउन से जूझ रहा था तो राजधानी लखनऊ के सदर बाजार में किराए के मकान में रह रहे विनोद तिवारी राशन की समस्या से परेशान थे। चूंकि उनका एरिया कंटेनमेंट जोन में था, इसलिए बाहर निकल पाना संभव नहीं था। लिहाजा उन्होंने सीएम हेल्पलाइन 1076 से मदद की गुहार लगाई। 15 दिनों तक वह हेल्प मांगते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री हेल्पलाइन का एक जवाब उन्हें मिलता रहा कि आपकी शिकायत दर्ज कर ली गई है, जल्द ही आपको राशन उपलब्ध करा दिया जाएगा।
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हत्या के मामले में भी नहीं हो रही सुनवाई
ऐसा ही मामला अंबेडकरनगर के थाना अलीगंज का सामने आया है। जहां के सुरेंद्र कुमार पांडेय नाम के युवक की गोरखपुर के राजघाट थाना क्षेत्र में वर्ष 2019 में हत्या कर दी गई थी। पुलिस की लापरवाही के चलते उसकी लाश उसके परिवार वालों को नहीं मिल पाई। हद तो यह है कि पुलिस ने मामले में एफआईआर तक नहीं दर्ज की। कोर्ट के आदेश पर किसी तरह मुकदमा तो दर्ज हो गया, लेकिन अब राजघाट थानाध्यक्ष विनय कुमार सरोज आरोपियों को बचाने में जुट गए हैं। कोर्ट के आदेश के बावजूद भी मार्च से उन्होंने इस मामले की विवेचना करना वाजिब नहीं समझा।
पीड़ित पक्ष पुलिस के अन्य अधिकारियों के साथ 1076 पर कई बार विवेचना करवाने की गुहार लगा चुका है। लेकिन सीएम हेल्पलाइन अन्य मामलों की तरह केवल शिकायत दर्ज करने में लगा हुआ है। इसी तरह का मामला गोंडा जनपद में भी देखने को मिला। परसपुर थाना क्षेत्र के गोरछानपुरवा गांव में कोर्ट के स्टे के बाद भी दबंग जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण शुरू कर दिया था। यहां भी पीड़ित पक्ष ने 1076 से मदद मांगी थी, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। हालांकि खबर मीडिया में खबर चलने के बाद पुलिस प्रशासन ने अवैध निर्माण तो रुकवा दिया है, लेकिन दबंगों का कब्जा अभी भी बरकरार है।
बस्ती जनपद के कप्तानगंज थाना क्षेत्र के लोढ़वा गांव में भी इसी तरह शिकायत का मामला सामने आया है। यहां तहसीलदार चंद्रभूषण प्रताप की मिली भगत से तिलकराम यादव की पैतृक जमीन में से रास्ता निकाल दिया गया। तहसीदार चंद्रभूषण प्रताप की तरफ से यह भरोसा दिलाया गया था कि इसके एवज में उन्हें दूसरी जगह जमीन दी जाएगी। लेकिन रास्ता निकलने के बाद अब तहसीलदार पीड़ित पक्ष को तहसील का चक्कर लगाने के लिए मजबूर कर दिए हैं। तिलकराम यादव ने भी सीएम हेल्पलाइन 1076 पर शिकायत की थी, लेकिन उन्हें भी शिकायत दर्ज होने का झुनझुना थमा दिया गया। ऐसे ढेरों मामले हैं जो मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की खांमियों को उजागर करते हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की कमान संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ फिल्म ‘नायक’ के अनिल कुमार की तरह बिना तय कार्यक्रम के निरीक्षण करने पहुंच जाते थे। उन्होंने सिविल अस्पताल और हजरतगंज कोतवाली का आकस्मिक निरीक्षण कर प्रशासनिक अमले में हलचल पैदा कर दी थी। उनकी इस सक्रियता से जनता को लगने लगा था कि अब प्रदेश में बदलाव दिखेगा। लेकिन समय के हिसाब से बदलाव दिखा भी, प्रदेश वैसा ही रह गया केवल मुख्यमंत्री का तेवर बदल गया। औपचारिकता पूरी करने के लिए सीएम हेल्पलाइन 1076 की शुरुआत कर जनता को लालीपॉप थमा दिया गया। फिलहाल यहां से कोई सुनवाई न होने की वजह से लोग अब इस पर शिकायत दर्ज कराना भी बंद कर दिए हैं।
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