लखनऊ: सियासत की आंच में हमेशा अपने ही झुलसते है। कृषि कानूनों के विरोध में जो सियासी रोटियां सेंकी जा रही हैं, उसी का नतीजा लखीमपुर खीरी की घटना है। प्रदर्शन की आड़ में हर सरकारी आयोजन का विरोध का आखिर क्या मतलब? इस घटना में अब तक आठ लोगों की मौत हो गई है। घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। लेकिन घटना के सही पहलू को देखा जाए तो इसके लिए किसान के नाम पर प्रदर्शनकारी जिम्मेदार हैं। हाथ में लाठी लिए प्रदर्शनकारियों ने जिस तरह से भाजपा समर्थकों पर हमला बोला था, उस हिसाब से मंत्री का बेटा अगर प्रदर्शनकारियों को कुचलता हुआ न भागता तो स्थिति ठीक इसके उलट हो सकती थी।
विपक्ष की तरह आज की मीडिया भी अर्ध सत्य दिखाकर पत्रकारिता की जगह राजनीति की रही है। घटना दुर्भाग्यपूर्ण है pic.twitter.com/1ANa4RpnnZ
— raghvendra mishra (@raghvendrapress) October 3, 2021
स्थानीय लोगों की मानें तो मंत्री के बेटे को अपनी जान बचाने के लिए ऐसा करना पड़ा। वहीं घटना के वायरल हो रहे वीडियो में किसानों का जो हिंसक रूप दिखाई दे रहा है, उससे स्थिति की गंभीरता को सहज समझा जा सकता है। इस घटना के बाद से जिस तरह राजनीतिक हलचल तेज हुई उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह आग अब इतनी आसानी से थमने वाली नहीं है। लगभग सभी राजनीतिक दलों का लखीमपुर खीरी में कल का कार्यक्रम तय हो चुका है।
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गौरतलब है कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एक कार्यक्रम में शामिल होने यहां आए हुए थे। इसी दौरान किसानों का एक समूह कार्यक्रम का विरोध करते हुए उन्हें काले झंडे दिखाने की कोशिश करने लगा। प्रदर्शनकारी काफिले में शामिल लोगों को रोकने का प्रयास कर रहे थे, तभी मामला काफी बिगड़ गया। काफिले में फंसे मंत्री अजय मिश्रा के बेटे ने प्रदर्शनकारियों को रौंदते हुए किसी तरह से अपनी जान बचाई। इस घटना में आठ लोगों की मौत की सूचना है। जबकि प्रदर्शनकारियों ने दो एसयूवी गाड़ियों को आग की हवाले कर दिया है। लखीमपुर तनाव को देखते हुए यहां इंटरनेट सेवा और स्कूलों को अग्रिम आदेश तक के लिए बंद कर दिया गया है।
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