

हम थे गजब दीवाने, बस दीवाने रह गए,
सिरहाने हुए लोग, हम पैताने रह गए।
जब वक्त की धारा के साथ बह नहीं पाए,
फेंका लहर ने दूर तो अनजाने रह गए।
जो दंदफंद में हैं, उन्हें मिल रही इज्जत,
हम थे फलाने और बस फलाने रह गए।
रुकती नहीं लोगों में बुरे काम की फितरत,
क्या सबको रोकने के लिए थाने रह गए?
सबकुछ लुटाके ‘श्याम’ तुम तो हो गए फक्कड़,
अब तो तुम्हें सुनने को सिर्फ ताने रह गए!
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