भाषायी परतंत्रता सांस्कृतिक परतंत्रता का प्रस्थान बिन्दु है। भारत में सन् 1947 में स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से ही हिंदी बनाम अंग्रेजी का संघर्ष जारी रहा। अंग्रेजी के पक्ष में बोलने वाले लोग उसकी सर्वव्यापकता, ग्राह्यता, वैश्विकता और ज्ञान-विज्ञान, तकनीक का विपुल विषय-भण्डार रखने को इसके महत्त्व का कारण बताते रहे तो हिंदी के पक्ष में बोलने वाले हिंदी के वैज्ञानिक भाषा होने, सबसे बड़ा जनाधार और भारत की राजभाषा होने का गौरव प्राप्त होने को प्रमुख कारण बताते रहे। निःसन्देह ये तीनों ही कारण राजभाषा हिंदी की शक्ति हैं जिसके आधार पर तमाम विरोधों के बावजूद हिंदी अपनी उसी धार और तेवर के साथ टिकी रही और दस कदम आगे बढ़कर विश्व भाषा बनने की ओर भी अग्रसर हुई। कहने की आवश्यकता नहीं कि आज विश्व भर के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में हिंदी का पठन-पाठन हो रहा है। हिंदी बोली भी जा रही है और समझी भी जा रही है।
इसी दिशा में एक क्रान्तिकारी पहल करते हुए गृह मंत्रालय भारत सरकार के अधीन राजभाषा विभाग ने हिंदी को और अधिक लोकप्रिय तथा सर्वव्यापी बनाने के लिए “कंठस्थ” नामक ऐप विकसित किया है जो गूगल की तरह ही अंग्रेजी से हिंदी और आवश्यकता पड़ने पर हिंदी से अंग्रेजी में तुरन्त अनुवाद कर देने की एक अद्यतन तकनीक है। “कंठस्थ” की टैग लाइन ही है ‘अनुवाद सारथी’। यानी अंग्रेजी से हिंदी या हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद की एक अत्याधुनिक प्रणाली। स्मृति आधारित अनुवाद टूल “कंठस्थ” के आ जाने से राजभाषा हिंदी के अनुप्रयोग या व्यापक स्वीकार्यता के गवाक्ष खुले हैं।
इस तकनीक के उपयोग में दूसरी भाषा के शब्दों के प्रयोग से कोई परहेज नहीं किया गया है। कुछ शब्द ज्यों के त्यों अंग्रेजी से हिंदी में लिप्यान्तरित कर दिए गये हैं- जैसे- ट्रांसलेशन मेमोरी जिसका संक्षिप्तीकरण टीएम किया गया है। यह टीएम मशीन साधित अनुवाद प्रणाली का एक भाग है जिससे अनुवाद करने में सहायता मिलती है। वस्तुतः टीएम एक डेटाबेस है जिसमें स्रोत भाषा के वाक्य और जिस भाषा में अनुवाद अपेक्षित है, दोनों एक साथ रहते हैं, ताकि एक ही स्थान पर दोनों को देखा जा सके।
ट्रांसलेशन मेमोरी पर आधारित इस प्रणाली की मुख्य विशेषता यह भी है कि पहले से किये गये अनुवाद का किसी नई फाइल के अनुवाद के लिए पुनः प्रयोग किया जा सकता है। यदि अनुवाद की नई फाइल का वाक्य टीएम के डेटाबेस से पूर्णतः या आंशिक रूप से समानता रखता है तो सिस्टम उस वाक्य के अनुवाद को अपने टीएम से स्वतः ले लेता है और अनुवादक की मदद करता है तथा अंग्रेजी से हिंदी या हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद की प्रक्रिया को सरल बनाता है।
“कंठस्थ” की अन्य कई विशेषताएं उसे गूगल या संजाल से थोड़ा अलग तथा महत्त्वपूर्ण बना देती हैं। यह कहा जा सकता है कि कंठस्थ इण्टरनेट की दुनिया की अनेक विशेषताओं को अपने में समाहित करते हुए उसका और अधिक विकसित स्वरूप प्रस्तुत करता है। उदाहरण के लिए “कंठस्थ” में स्मार्ट चैटबाक्स, तुरन्त अनुवाद, सूचनाएँ (नोटिफिकेशन), फाइल शेयर करना, विभिन्न फाइल-एक्सटेंशन का समर्थन, न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन विकल्प, स्थानीय के साथ-साथ वैश्विक टीएम का निर्माण, आटोमैटिक स्पीच रिकॅाग्निशन, द्विभाषिक फाइल भेजना या प्राप्त करना, वाक्यांश खोज और अन्त में गुणवत्ता की जांच करने जैसी विशेषताएं “कंठस्थ” को संजाल की दुनिया में एक अलग पहचान देती हैं।
अब इसकी कुछ विशेषताओं पर चर्चा करना भी आवश्यक है ताकि “कंठस्थ” को समझा जा सके। चैटबाक्स स्क्रीन के नीचे दाईं ओर होता है जहां उपयोग करने वाला व्यक्ति लॉग-इन करने के बाद देख सकता है। यह चैटबाक्स “कंठस्थ” की कार्य क्षमता या उसके बारे में जानने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है, जहाँ चैटबॉक्स आइकन पर क्लिक करने से यह खुल जाता है और आगे बढ़ने के कई विकल्प प्रदान करता है। अपनी जिज्ञासा के अनुसार उपयोगकर्ता अपने प्रश्नों का समाधान ढूंढ़ सकता है।
तुरन्त अनुवाद की कंठस्थ की विशेषता इस तरह है कि यदि प्रयोगकर्ता फोल्डर आदि नहीं बनाना चाहता तो इस बटन के द्वारा सीधे ही फाइल का अनुवाद कर सकता है। इसके लिए प्रयोगकर्ता स्क्रीन पर बने बॉक्स में अपनी विषय-वस्तु लिखे अथवा कॉपी करे और एडिटर वाले बटन पर क्लिक करे। फाइल एडिटर में खुल जाती है और वहां से तुरन्त अनुवाद प्राप्त हो सकता है। इसी प्रकार “कंठस्थ” स्क्रीन पर कोई प्राप्त सूचना, संदेश, प्रेषित फाइल के बारे में अद्यतन जानकारी लेने के लिए नोटिफिकेशन आइकन पर क्लिक करते हैं।
फाइल किसी के साथ शेयर करने का विकल्प भी आन्तरिक नेटवर्क या ई मेल के द्वारा किया जा सकता है। शेयर बटन पर क्लिक करने के बाद प्राप्तकर्ता का ई.मेल आई डी. लिखकर भेजा जा सकता है। स्थानीय और वैश्विक टीएम के निर्माण के अन्तर्गत वाक्यों को उनके अनूदित रूप के साथ क्रमबद्ध ढंग से सुरक्षित रखा जाता है ताकि भविष्य में भी आवश्यकता पड़ने पर इनका प्रयोग किया जा सके। कंठस्थ विभिन्न फाइल-एक्सटेंशन का समर्थन करते हुए लगभग सभी फाइलों के स्वरूप से इनपुट लेकर उनका अनुवाद करने की क्षमता भी रखता है।
न्यूरल मशीन ट्रान्सलेशन एक ऐसा सशक्त विकल्प है कि यदि फजी सर्च से खोजने पर भी कोई शब्द नहीं मिलता है तो न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन के माध्यम से उसका वैकल्पिक शब्द तैयार मिलता है। कंठस्थ फजी सर्च की तुलना में अधिक तेज गति से काम करता है, साथ ही नये वाक्यों के लिए अधिक सटीक है। स्पीच रिकॅाग्निशन आज के समय की एक महत्वपूर्ण तकनीक है।
प्रायः स्मार्ट मोबाइल में बोलकर टंकित करने की सुविधा विद्यमान रहती है। उसी प्रकार “कंठस्थ” में भी आटोमैटिक स्पीच रिकॅाग्निशन है जो किसी व्यक्ति द्वारा बोले गये शब्दों या वाक्यों को इनपुट की तरह लेकर उसे डिजिटल या लिखित रूप में रूपान्तरित कर देता है। यह एक अत्यन्त सुविधाजनक तकनीक है क्योंकि बोलना टाइप करने की तुलना में अधिक तेज गति से हो सकता है, साथ ही वर्तनी या वाक्य की अशुद्धि से भी बचाता है।
“कंठस्थ” के माध्यम से द्विभाषिक फाइलों को एक ही वर्ड फाइल में डाउनलोड करके कहीं भी भेजा या प्राप्त किया जा सकता है। इस फाइल में स्रोत एवं अनूदित वाक्य क्रमवार विद्यमान होते हैं। अनूदित अंश की जाँच के लिए भी इस फाइल का प्रयोग किया जा सकता है। उसी तरह किसी द्विभाषिक फाइल को कंठस्थ पर अपलोड भी किया जा सकता है।
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वाक्यांश खोज के लिए भी “कंठस्थ” पर विकल्प खुला होता है। वाक्यांश खोज नामक बटन पर क्लिक करने से एक बॉक्स खुलता है जिसमें वांछित शब्द या वाक्यांश लिखकर सर्च बटन को क्लिक करने से वह शब्द या वाक्यांश उपलब्ध होने पर एडिटर पर चिन्हांकित हो जाता है। अन्त में गुणवत्ता जांच के बटन पर क्लिक करते ही स्क्रीन पर विराम चिन्ह आदि जैसी छूटी हुई त्रुटियों की ओर “कंठस्थ” संकेत करता है। आंशिक अनुवाद, अधूरा अनुवाद, छोड़ दिया गया अनुवाद आदि की ओर भी यह इंगित करता है। कहाँ कॉमा, डॉट, हलंत आदि छूटा हुआ है, वे सभी त्रुटियाँ ‘‘एरर” वाले बॉक्स में दिखाई पड़ने लगती हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें जो भी विषय-सामग्री ग्लोबल मेमोरी में जाएगी वह सुरक्षित हो जाएगी। वहीं गूगल का कोई हिंदी मैटर इस पर नहीं आ पायेगा क्योंकि यह एक स्वतन्त्र प्लेटफार्म है जिससे किसी भी तरह का अनुवाद किया जा सकता है। इसका उपयोग वैश्विक स्तर पर लोग कर सकते हैं।
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“कंठस्थ” राजभाषा हिंदी सेवियों के लिए एक वरदान की तरह है, जहाँ शब्दों या अनुवाद के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और मानक हिंदी के प्रयोग के साथ ही हिंदी भाषा का समुचित प्रचार प्रसार और व्यवहार सभी लोग कर सकेंगे। अब किसी के पास यह कहने की विवशता नहीं रहेगी कि अमुक शब्द का वैकल्पिक या पर्यायवाची शब्द ढूँढ़े से नहीं मिल रहा। राजभाषा हिंदी की सम्यक् प्रतिष्ठा के लिए “कंठस्थ” एक अत्याधुनिक तकनीक है। हमें इसे खुले दिल से अपनाना है।
(लेखिका बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में भू गर्भ विज्ञान विभाग से जुड़ी हुई हैं)