लखनऊ: गीत संग्रह ‘मैं निशा हूँ’ प्रणीत निशा सिंह ‘नवल’ लखनऊ का लोकार्पण समारोह रश्मि प्रकाशन द्वारा शांति कुटी लक्ष्मण पूरी लखनऊ में किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि नरेन्द्र भूषण मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य संस्थान के निदेशक पवन कुमार, मुख्य वक्ता राजेन्द्र शुक्ल राज अतिविशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध कवि स्माइल मैंन सर्वेश अस्थाना, विशिष्ट अतिथि हरे प्रकाश उपाध्याय रहे। कार्यक्रम का शानदार संचालन कवयित्री स्वधा रविन्द्र उत्कर्षिता ने किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ कवयित्री वर्षा श्रीवास्तव की वाणी वंदना से प्रारम्भ हुआ। सर्वप्रथम समारोह के मुख्य वक्ता वरिष्ठ कवि राजेंद्र शुक्ल ‘राज’ ने सुप्रसिद्ध कवयित्री निशा सिंह ‘नवल’ की प्रथम काव्य कृति “मैं निशा हूँ” अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा की इस गीत संग्रह के गीतों का भाव पाठक के ह्रदय तल में सहजता से संप्रेषित हो जाता है जो इन गीतों की विशिष्टता है। यह कृति हिन्दी साहित्य की अनुपम धरोहर है। स्माइल मैंन सर्वेश अस्थाना ने कहा की ‘मैं निशा हूँ’ गीत संग्रह के गीत बार-बार पठनीय और संग्रहणीय है यह काव्य कृति साहित्य में अपना यथेष्ठ स्थान प्राप्त करेगी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पवन कुमार ने कहा की “मैं निशा हू” गीत संग्रह के “मैं निशा हूँ निशा मैं छलूंगी नहीं। भोर को दिए बिन मैं ढलूंगी नहीं।”,”इस धरा का फिर नवल श्रृंगार होगा।” जैसे कलजयी गीत बार बार गुनगुनाने का मन करता है।
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हिन्दी साहित्य ऐसे गीतों का स्वागत करता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि नरेन्द्र भूषण ने निशा सिंह नवल को अद्भुत गीतकार बताते हुए गीत संग्रह “मैं निशा हूँ” को हिन्दी साहित्य का अनुपम कृति बताया। कार्यक्रम में मुकुल महान, सरला समां, शोभा त्रिपाठी, प्रवीन कुमार शुक्ल, नीलम रावत अमर कुमार श्रीवास्तव, आशुतोष आशु, शानू बाजपेयी, महेश गुप्ता गोबर गणेश, शिखा श्रीवास्तव, सर्वेश कुमार शर्मा, विनोद शंकर शुक्ल, मनमोहन बरकोटी, रेणु वर्मा, दीपा गुप्ता, सुभाष चंद्र रसिया, श्रुति भट्टाचार्य, महेश चंद गुप्त, नीलम रावत, संध्या कमलेश मौर्य मृदु गोपाल नारायण, कृपाशंकर विश्वास, नीतीश सिंह निर्भीक, शरद श॔शाक, अशोक पांडे, खुश्बू, प्रिया सिंह, इन्द्रासन सिंह आदि जानी मानी हस्तियां उपस्थित रहीं। अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन शिवसूरत सिंह ने किया।
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