लखनऊ: हर किसी का अपना चरित्र होता है, पर इंसानों की हरकतों को देखकर ऐसा लगता है कि इनका कोई चरित्र नहीं है। हमारे देश में गाय को माता के रूप में माना जाता है। हिंदू समदाय गाय को पूजते भी हैं। बावजूद इसके जब गायों की संरक्षण की बात आती है, तो इसी समाज के लोग दोहरा चरित्र अपनाते हुए इसे सरकार की जिम्मेदारी मान लेते हैं। इसे दोहरे चरित्र वाले समाज के लिए गाय जब तक दूध देती है, गौ माता मानी जाती है, जैसे ही दूध देना बंद करती है यही किसान लावारिश हालत में गाय को सड़कों पर छोड़ देते हैं।
हालांकि आज हम उस समाज में पहुंच चुके हैं जहां जन्म देने वाली मां को लोग वृद्धा आश्रम में छोड़ने में कोई संकोच नहीं करते। छुट्टा जानवरों से निजात पाने की दिशा में योगी सरकार ने कड़े कदम उठाते हुए उन किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है जो दूध देना बंद करने पर गायों को छुट्टा छोड़ देते हैं। अब ऐसा करने वाले किसानों के खिलाफ पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि कसाई और किसान में अंतर होता है। ऐसे में हम किसानों का ध्यान रखेंगे, कसाइयों का नहीं। काम निकलने के बाद अपने पशुओं को छोड़ने वालों के खिलाफ अब पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम के तहत केस दर्ज किया जाएगा। पशुपालन मंत्री सपा विधायक अवधेश प्रसाद की ओर से विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
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सपा विधायक ने सरकार से आवारा पशुओं की समस्या को लेकर योजना और इनकी वजह से मारे गए लोगों को मुआवजे से संबंधित सवाल पूछा था। जवाब में धर्मपाल सिंह ने कहा कि सड़कों पर ये आवारा मवेशी नहीं हैं, बल्कि उन्हें छोड़ा गया है। इसे हर कोई जानता है कि उन्हें किसने छोड़ा है। जब एक गाय दूध देती है तो उसे पाला जाता है और जब वह दूध देना बंद करती है तो उसे लावारिश छोड़ दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि 15 मई तक 6,187 गौ आश्रय केंद्र प्रदेश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में बनाए गए हैं। इनमें 8,38,015 पशुओं को रखा गया है। बताते चलें कि प्रदेश में छुट्टा जानवरों की वजह से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हो रहा है। यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्ष की तरफ से इसे बड़ा मुद्दा बनाया गया था।
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