लखनऊ: सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा ऑनलाइन आयोजित किये जा रहे चार दिवसीय ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का 22वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ के चौथे व अन्तिम दिन आज विभिन्न देशों के प्रख्यात न्यायविदों, कानूनविदों व अन्य गणमान्य हस्तियों को सम्बोधित करते हुए उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सीएमएस लगातार समाज में एकता, शान्ति व भाईचारा को बढ़ावा दे रहा है, जो हम सबके लिए बड़े गर्व की बात है। सीएमएस ने विश्व पटल पर लखनऊ का गौरव बढ़ाया है।
प्रदेश के जल शक्ति एवं बाढ़ नियन्त्रण मंत्री महेन्द्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देशों में से एक है, जिसने हमेशा विश्व शान्ति समर्थक और परिपक्व देश होने का दायित्व पूरी जिम्मेदारी से सदैव निभाया है। लखनऊ विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. आलोक कुमार राय समेत विश्व भर के न्यायविदों, कानूनविदों व राजनीतिक हस्तियों ने जमकर चर्चा-परिचर्चा की और अपने सारगर्भित विचारों से एक नवीन विश्व व्यवस्था का बिगुल फूंका।
सम्मेलन के अन्तिम व चौथे दिन आज ‘अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन’ के संयोजक डा. जगदीश गाँधी ने सीएमएस कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ जारी किया। इस एतिहासिक सम्मेलन में चार दिन चली गहन चर्चा-परिचर्चा के उपरान्त विश्व के 50 देशों के मुख्य न्यायाधीशों व न्यायाधीशों ने प्रस्ताव पारित किया है कि जब तक एक विश्व संसद, एक विश्व सरकार व प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय कानून व्यवस्था नहीं बन जाती, तब तक हमारा प्रयास जारी रहेगा।
लखनऊ घोषणा-पत्र में कहा गया है कि यह महसूस करते हुए कि ग्लोबल वार्मिंग व पर्यावरण में बदलाव इस ग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं और हाल ही में सम्पन्न संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (CoP 26) में पेरिस समझौते और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेन्शन के लक्ष्यों की दिशा में कार्यवाही में तेजी लाने के लिए समझौता हुआ और समझौतों के अनुसार जो समय सीमा निर्धारित की गई है, उसमें कुछ बदलाव आने की उम्मीद है।
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यह भी महसूस करते हुए कोविड-19 ने दुनिया भर में जीवन का अभूतपूर्व नुकसान किया है और राष्ट्र इसका मुकाबला करने के लिए सहयोग और सह-अस्तित्व की भावना के साथ महामारी से लड़ रहे हैं और इसके बुरे प्रभाव को कम करने और भविष्य में इस प्रकार की किसी भी महामारी के लिए अधिक सहयोग और अनुसंधान अनिवार्य है।
यह मानते हुए कि सतत विकास के लिए विश्व एकता सबसे बड़ी आवश्यकता है क्योंकि यह युग वैश्वीकरण का है और विज्ञान प्रोद्योगिकी और विकास का लाभ सबसे गरीब और दलित लोगों तक पहुँचता है जो कि बुनियादी मानवाधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता, पीने योग्य पानी, आश्रय और कपड़े आदि के अधिकार से वंचित है।
यह मानते हुए कि आतंकवाद व उग्रवाद क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर सैद्धान्तिक, वैचारिक, राजनैतिक व अन्य मुद्दों पर युद्ध जैसे हालात पैदा कर रहे है जिससे बच्चों व अपने वाली पीढ़ियों सहित, सभी के कल्याण व शान्ति की स्थापना में बाधा उत्पन्न होती है।
यह मानते हुए कि संयुक्त राष्ट्र संघ एक बड़ी संस्था है, जो कई अन्य संस्थाओं के साथ लोगों में शान्ति, सामाजिक उत्थान एवं अन्य क्षेत्रों में कार्य कर रही है, किन्तु इसमें ठोस कार्य करने की क्षमता व अधिकारिता की कमी है जिससे आम सभा के निर्णयों को लागू किया जा सके।
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अतः हम विश्व के मुख्य न्यायाधीश व न्यायाधीश, जो 19 से 22 नवम्बर 2021 तक सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ, भारत के विश्व एकता शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 पर आधारित, ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 22वें ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ में प्रतिभाग कर रहे हैं, आज पिछले सम्मेलनों में पारित संकल्पों पर दोबारा अपनी मुहर लगाते हुए तथा विश्व में कानून व न्यायिक प्रणाली के केन्द्रीयकरण की वास्तविकता को मानते हुए, संकल्प लेते हैं:-
1. विश्व के तमाम देशों के प्रमुखों व राष्ट्राध्यक्षों से अपील की जाए –
क. संयुक्त राष्ट्र चार्टर की समीक्षा के लिए विश्व निकाय स्थानांतरित करने हेतु ठोस कदम उठाये जाएं, जैसा कि चार्टर में ही आवश्यक है ताकि संयुक्त राष्ट के अधिकार, प्रतिष्ठा व शक्ति को मजबूत किया जा सके।
ख. राष्ट्राध्यक्षों व सरकारी तंत्रों के प्रमुखों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर विभिन्न वैश्विक समस्याओं पर विचार किया जाए और एक टिकाऊ विश्व व्यवस्था के लिए एक प्रभावी वैश्विक शासन संरचना तथा लोकतांत्रिक रूप से गठित विश्व संसद के लिए कार्य किया जाए जो एक प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून की स्थापना करे।
ग. ग्लोबल वार्मिंग को रोकने/कम करने हेतु तत्काल कदम उठाये जायें जैसा कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में आपसी समझौता हुआ है, एवं
घ. अपने देश के सभी स्कूलों में नागरिक शाष्त्र, शान्ति शिक्षा एवं अर्न्त-साँस्कृतिक समझ की शिक्षा प्रारम्भ करें, जिससे विश्व नागरिक बनाये जा सके।
2. संयुक्त राष्ट्र संघ से दृढ़तापूर्वक अनुरोध किया जाये –
क. संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर की समीक्षा तथा सुरक्षा परिषद में संशोधन की प्रक्रिया तेज की जाये।
ख. आतंकवाद, उग्रवाद एवं युद्धों की रोकथाम के लिए प्रयास किये जायें ताकि सामूहिक विनाश के हथियारों का उन्मूलन किया जा सके।
ग. एक अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी कोर्ट की स्थापना की प्रभावकारिता पर विचार करे।
3. विश्व के न्यायालयों के सदस्यों से दृढतापूर्वक अनुरोध किया जाय-
क. व्यक्ति के सम्मान को बढावा दिया जाय जो कि सभी के मूलभूत मानवाधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्रता का आधार है।
ख. राष्ट्रीय सरकारों को प्रेरित किया जाय कि वे अपने समस्त स्कूलों में नागरिक शिक्षा, शान्ति शिक्षा तथा अर्न्त-साँस्कृतिक समझ की शिक्षा देने की शुरुआत करें।
यह भी संकल्प लेते हैं कि इस घोषणा पत्र को सभी देशों व सरकारों के प्रमुखों व मुख्य न्यायाधीशों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को उनके विचारार्थ और यथा संभव कार्यान्वयन हेतु भेजा जाए।
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