Chaitra Navratri 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि हर वर्ष मार्च या अप्रैल के महीने में आती है। यह नवरात्रि विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में मनाई जाती है, और इसे देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का पर्व माना जाता है। इस दौरान भक्तजन उपवास रहकर देवी माँ की पूजा करते हैं। व्रत रखते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं।

चैत्र नवरात्रि 2025 का प्रारंभ

चैत्र नवरात्रि 2025 का प्रारंभ 27 मार्च 2025 से शुरू होगा। यह पर्व नौ दिनों तक चलेगा और इसका समापन 4 अप्रैल 2025 को होगा।

चैत्र नवरात्रि 2025 के शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के दौरान देवी माँ की पूजा में कई विशेष मुहूर्त होते हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए पूजा करना फलदायी माना जाता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण मुहूर्त दिए गए हैं:

प्रतिष्ठापन (कलश स्थापना) मुहूर्त

27 मार्च 2025 को कलश स्थापना का प्रमुख दिन है, जो प्रात:काल सूर्योदय से पहले करना शुभ माना जाता है।
– शुभ समय (प्रात:काल) का समय: 06:08 से 07:56 तक

– यदि ये समय उपलब्ध न हो, तो अभिजीत मुहूर्त का भी प्रयोग किया जा सकता है।

दुर्गा पूजा मुहूर्त (सप्तमी पूजा)

– 2 अप्रैल 2025 को सप्तमी तिथि होगी, जिसमें विशेष रूप से देवी दुर्गा के रूपों की पूजा की जाती है।

– शुभ समय: 06:00 से 07:30 तक

महाष्टमी पूजा

– 3 अप्रैल 2025 को महाष्टमी तिथि है, जो इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
– शुभ समय 06:00 से 07:00 तक

नवमी पूजा और हवन मुहूर्त

– 4 अप्रैल 2025 को नवमी तिथि होगी, जिसे विशेष रूप से श्री दुर्गा की पूजा का अंतिम दिन माना जाता है।
– शुभ समय: 06:00 से 07:00 तक

रात्रि पूजा (मध्यरात्रि पूजा) मुहूर्त

– नवरात्रि के अंतिम दिन रात्रि में पूजा का महत्व बढ़ जाता है।
– शुभ समय: 09:00 PM से 11:00 PM तक

नवरात्रि व्रत और पूजा विधि

कलश स्थापना (ग्रहस्थ पूजा): इस दिन देवी माँ का आवाहन करके, घर में कलश स्थापित किया जाता है। इसे कलश स्थापना कहते हैं। पूजा में देवी के मंत्रों का जाप, फल, फूल, दीपक और पानी अर्पित किया जाता है।

नौ दिन व्रत और उपवास: नवरात्रि के नौ दिनों तक उपवास रखने का विशेष महत्व होता है। भक्तजन इस दौरान केवल शाकाहारी आहार लेते हैं या कुछ दिन फलाहार करते हैं।

शुभ तिथि के अनुसार पूजा: हर दिन देवी के एक रूप की पूजा की जाती है, जैसे पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा आदि।

हनुमान चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ: नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती और हनुमान चालीसा का पाठ भी बहुत लाभकारी माना जाता है।

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नवरात्रि के दौरान विशेष ध्यान देने योग्य बातें

सप्तमी तिथि: इस दिन विशेष रूप से कन्या पूजन किया जाता है, जिसमें नौ कन्याओं को भोजन कराना और उन्हें वस्त्र व आभूषण भेंट करना पुण्यकारी माना जाता है।

नवमी पूजा: नवरात्रि के अंतिम दिन का विशेष महत्व है, जिसमें विशेष हवन और पूजा आयोजित की जाती है। देवी माँ की पूजा करने के बाद रात्रि को बर्तन धोने की परंपरा भी है।

चैत्र नवरात्रि एक बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली समय होता है, जिसमें देवी दुर्गा की उपासना करके भक्तजन अपनी सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली की प्राप्ति करते हैं। यदि आप इस बार नवरात्रि का पालन करना चाहते हैं, तो शुभ मुहूर्त का पालन करते हुए विधिपूर्वक पूजा करें और देवी माँ से आशीर्वाद प्राप्त करें।

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