Poetry: सुख शांति समृद्धि चाहिए

तो सुदृढ़ करो ताना बाना। हो पड़ोसी हितकर अपना बजता वहीं आनन्द तराना।। भारत इस सुविधा से वंचित अतः नीति य़ह नहीं चलेगी। सोचो और विचारो मिलकर है बनी सोच…

Poetry: हल्ला बोल!

बोल जम्बूरे हल्ला बोल, बोल जम्बूरे हल्ला बोल। पगड़ी जिसकी चाहे खोल, बोल जम्बूरे हल्ला बोल। सेज बिछाकर लोकहितों की, लोकतन्त्र का चीर-हरण कर, कातिल, गुंडे, चोर, लुटेरे, गले लगाकर…

Pauranik Katha: जब माता सीता बन गई चण्डी

Pauranik Katha: एक समय की बात है कि भगवान श्री राम राज सभा में विराज रहे थे, उसी समय विभीषण वहाँ पहुंचे। वे बहुत भयभीत और हड़बड़ी में लग रहे…

Poetry: हर कदम ऊर्जा भरा हो

हर कदम ऊर्जा भरा हो हर कदम में दिशा दृष्टि। संकल्प से सिद्धि पाना होगी सनातन पूर्ण सृष्टि।। विविध विधि के कार्य हों परिणाम हों सबके मनोहर। बहु प्रेरणा जागृत…

Kahani: अंतिम काम!

Kahani: एक बूढ़ा कारपेंटर अपने काम कारीगरी के लिए बहुत जाना जाता था, उसके बनाये लकड़ी के घर दूर-दूर तक प्रसिद्द थे। पर अब बूढ़ा हो जाने के कारण उसने…

Poetry: छोटा काम बड़ा परिणाम

छोटा काम बड़ा परिणाम देगा बदल धारणा आम। करके देखो सहज भाव से सब कोई लेगा तेरा नाम।। दिन में मिले परस्पर कोई तुम उसे ध्यान से सुनना। उसकी बातों…

इंतजार

समय का पहिया बहुत तेज चल रहा है। पुराने आदर्शों का कबाड़ तेजी से गल रहा है। वह दकियानूस है, उसको दिखाई नहीं देता। उसके कान हैं, पर सुनाई नहीं…

Kavita: फिर भी खून बहाते हैं!

ना यादव ना विप्र की भूमि, फिर भी खून बहाते हैं! ईश्वर का वरदान मनुज तन, पर खुलकर ना जी पाते हैं। राजनीति की जातिवाद में, “सत्य” से “प्रेम” लड़ाते…

Poetry: प्रातः नमन करें हम उनको

प्रातः नमन करें हम उनको जिनसे जीवन की गति चलती। जिनके होने से हम जग में जिनसे कर्म शक्ति है फलती।। नमन नित्य हम प्रातः करते परम प्रभू फिर धरती…

Pauranik Katha: जब माता सीता ने कराया था श्राद्ध भोज

Pauranik Katha: भगवान श्रीकृष्ण से पक्षीराज गरुड़ ने पूछा, हे प्रभु! पृथ्वी पर लोग अपने मृत पितरों का श्राद्ध करते हैं। उनकी रुचि का भोजन ब्राह्मणों आदि को कराते हैं।…