अक्षय तृतीया पर विशेष: मानवीय योजनाओं को पुष्पित—पल्लवित करने की तिथि है

यह सृष्टि का अक्षय पर्व है। पृथ्वी से अन्न पाने की अनुमति का समय है। पितरों को पुण्यलाभ प्रदान करने की योजना है। कलियुग की कल्पतिथि है। यह जीवन को…

विश्व परिवार दिवस (15 मई) पर विशेष: भारतीयता का मूल हैं हमारे परिवार

भारत में ऐसा क्या है जो उसे खास बनाता है? वह कौन सी बात है जिसने सदियों से उसे दुनिया की नजरों में आदर का पात्र बनाया और मूल्यों को सहेजकर रखने…

श्रद्धांजलि लेखः रचना, सृजन और संघर्ष से बनी थी पटैरया की शख्सियत

वे ही थे जो खिलखिलाकर मुक्त हंसी हंस सकते थे, खुद पर भी, दूसरों पर भी। भोपाल में उनका होना एक भरोसे और आश्वासन का होना था। ठेठ बुंदेलखंडी अंदाज…

काल कवलित होती कहावतें और बदलता समाज

आधुनिकता के रंग में रंगते लोगों ने हमारे समाज से बहुत कुछ छीन लिया है। समानता के अधिकार की आड़ में छोटे—बड़े के लिहाज और सम्मान कब गायब हो गया…

‘प्रकृति नाप रही है साहस, संयम और जीवटता’

प्रकृति, जीवन में आज तक हमारी अमीरी, गरीबी, आचरण, व्यवहार, तर्क, बुद्धिमत्ता और जीवनस्तर आदि की परीक्षा लेती रही है किन्तु अब वह पूरजोर ढंग से हमारी जीवटता को, हमारे…

दत्तात्रेय होसबाले के सामने नई जिम्मेदारी के साथ हैं कई चुनौतियां

संघ के सरकार्यवाह के रूप में 12 साल का कार्यकाल पूरा कर जब भैयाजी जोशी विदा हो रहे हैं, तब उनके पास एक सुनहरा अतीत है, सुंदर यादें हैं और…

परंपरा को बनाए रखते हुए ‘नए भारत’ की चुनौतियों से कैसे जूझेंगे नए सरकार्यवाह

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जो लोग जानते हैं, उन्हें पता है कि यहां किसी ‘व्यक्ति’ की जगह ‘विचार’ की महत्ता है। यह एक विचार केंद्रित संगठन है, जहां व्यक्ति निष्ठा…

बदलती मीडिया, उठते सवाल

मौजूदा समय में मीडिया का दायरा काफी व्यापक हुआ है लेकिन इस बीच खबरों की विश्वसनीयता काफी घटी है। बिना विश्वसनीयता के बेहतरी की उम्मीद करना बेमानी होगी। मीडिया शुरू…

भाषा ही नहीं हमारी पहचान-हमारा स्वाभिमान है हिंदी

सरल, सहज, मिसरी सी ये, शब्दों से अमृत बरस, ये अपनत्व जताती है, स्वराष्ट्र प्रेम दर्शाती है, “हिंदी” अभिमान बढ़ाती है” मीठी, सरल व सहज “हिंदी”, भारतीय जनमानस की भाषा…