Budget 2024: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने गुरुवार को संसद में प्रस्तुत अंतरिम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह बजट भारतवर्ष को विकास के मार्ग पर तेजी से प्रशस्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी का आइना दिखा रहा है। यह अंतरिम बजट देश के किसान, गरीब, नारी शक्ति और युवा शक्ति की प्रगति का प्रतिबिंब है, जिनके विकास का संकल्प मोदी सरकार ने लिया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा किए अनेक उपाय निश्चित ही हमारे अन्नदाताओं का जीवन स्तर और ऊंचा उठाएंगे।
मुंडा ने कहा कि पीएम मोदी ने संकल्पबद्ध होकर कहा है कि गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों की आवश्यकताएं, आकांक्षाएं और कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। अंतरिम बजट में सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास-सबका प्रयास की भावना परिलक्षित होती है। किसानों के कल्याण के लिए एक के बाद एक अनेक ठोस कदम पिछले कुछ वर्षों में उठाए गए हैं। इनमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) स्कीम अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसके अंतर्गत अभी तक 11.80 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष लाभ हुआ है और पूरी पारदर्शिता के साथ, बिना बिचौलियों के लगभग 2.81 लाख करोड़ रुपये पूरी पारदर्शिता के साथ किसानों के बैंक खातों में जमा कराए गए हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से भी लगभग 4 करोड़ किसानों को सुरक्षा कवच प्रदान किया गया है। इसी तरह, किसानों के लाभ के लिए 1361 ई-नाम मंडियां शुरू की गई है, जिन पर अभी तक 3 लाख करोड़ रु. का व्यापार दर्ज हो चुका है। ऐसी कई योजनाएं लागू की हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर तिलहन अभियान सरकार की महत्वपूर्ण पहल है। 2022 में घोषित पहल के आधार पर, सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन, सूरजमुखी जैसे तिलहनों के लिए ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्त करने के लिए एक रणनीति तैयार की जाएगी। इसमें अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए अनुसंधान, आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाना, बाजार संपर्क, खरीद, मूल्य संवर्धन व फसल बीमा शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि किसानों का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार एकत्रीकरण, आधुनिक भंडारण, कुशल आपूर्ति श्रृंखला, प्राथमिक व माध्यमिक प्रसंस्करण और विपणन एवं ब्रांडिंग सहित फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में निजी-सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देगी। सभी कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर नैनो डीएपी (उर्वरक) का विस्तार किया जाएगा। डेयरी किसानों को समर्थन देने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। मत्स्य पालन को बढ़ावा देते हुए 5 एकीकृत एक्वा पार्क स्थापित किए जाएंगे, वहीं प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाया जाएगा।
मुंडा ने कहा कि बीते एक दशक में पीएम मोदी के नेतृत्व में देश प्रगति पथ पर तेजी से आगे बढ़ा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में इसके बारे में विस्तार से उल्लेख किया है। सरकार ने जनता पर टैक्स का कोई भार नहीं डाला है। 10 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था में गहरा सकारात्मक परिवर्तन देखा गया है। देशवासी आशा के साथ सुनहरे भविष्य की ओर देख रहे हैं। सभी के लिए आवास जैसी महत्वाकांक्षी योजना इस मायने में उल्लेखनीय है। अगले 5 वर्षों में पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 2 करोड़ और घर बनाए जाएंगे। कोविड के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद सरकार इस योजना के तहत 3 करोड़ घर के लक्ष्य को प्राप्त करने के करीब है। इसी तरह, किराए के मकानों, झुग्गियों, चालों और अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले मध्यम वर्ग को अपना घर खरीदने या बनाने में मदद करने के लिए एक योजना शुरू की जाएगी।
अंतरिम बजट में 3 प्रमुख आर्थिक रेलवे कॉरिडोर कार्यक्रम लागू करने की घोषणा की है, ये हैं: ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारे। पोर्ट कनेक्टिविटी कॉरिडोर। उच्च यातायात घनत्व गलियारे। मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को सक्षम करने के लिए पीएम गति शक्ति के तहत पहचानी गई ये परियोजनाएं, लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार करेगी और लागत कम करेगी। आयुष्मान भारत का विस्तार करते हुए, आयुष्मान भारत योजना के तहत हेल्थकेयर कवर सभी आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं तक बढ़ाया जाएगा। लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य भी बढ़ाकर 2 करोड़ से 3 करोड़ कर दिया गया है। 9 करोड़ महिलाओं के साथ 83 लाख स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सशक्तिकरण व आत्मनिर्भरता के साथ ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदल रहे हैं। उनकी सफलता ने लगभग 1 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनने में मदद की है। इसी प्रकार, रूफटॉप सोलराइजेशन के माध्यम से, 1 करोड़ परिवार हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्राप्त करने में सक्षम होंगे। रेल यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा व आराम बढ़ाने के लिए 40 हजार सामान्य रेल बोगियों को वंदे भारत मानकों में परिवर्तित किया जाएगा।
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‘नेट-जीरो’ कार्बन उत्सर्जन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता है। इस दिशा में 2070 तक ‘नेट-शून्य’ के लिए भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए 1 गीगा-वाट की प्रारंभिक क्षमता के लिए अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता के दोहन के लिए व्यवहार्यता अंतर निधि प्रदान की जाएगी। 2030 तक 100 मीट्रिक टन की कोयला गैसीकरण व द्रवीकरण क्षमता स्थापित की जाएगी। इससे प्राकृतिक गैस, मेथनॉल, अमोनिया के आयात को कम करने में भी मदद मिलेगी। परिवहन के लिए सीएनजी व घरेलू उद्देश्यों के लिए पीएनजी में सीबीजी (संपीड़ित बायोगैस) का चरणबद्ध मिश्रण अनिवार्य किया जाएगा। संग्रहण में सहायता के लिए बायोमास एकत्रीकरण मशीनरी की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। हरित विकास को बढ़ावा देने के लिए बायो-मैन्युफैक्चरिंग व बायो-फाउंड्री की नई योजना शुरू की जाएगी। यह बायोडिग्रेडेबल पॉलिमर, बायो-प्लास्टिक, बायो-फार्मास्यूटिकल्स और बायो-एग्री-इनपुट जैसे पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करेगी। स्वास्थ्य सेवा में सुधार के तहत मौजूदा अस्पताल के बुनियादी ढांचे का उपयोग करके अधिक मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाएंगे।
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