Bhai Dooj 2023: दीपावली पर्व पांच दिनों का त्योहार है। हिंदू धर्म के मुताबिक ये पांच दिन काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। दीपावली के बाद गोबर्धन पूजा के बाद भाई दूजा (Bhai Dooj) मनाया जाता है। बता दें कि भाई दूज (Bhai Dooj Date) हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक भाई दूज (Bhai Dooj) का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। भाई दूज (Bhai Dooj Date) के दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस शुभ अवसर पर मुहूर्त के हिसाब से बहनें भाई के माथे पर टीका और हाथ में कलावा बांधती हैं। वहीं भाई भी अपनी बहनों को गिफ्ट देते हैं।
इस बार भी भाई दूज (Bhai Dooj kab hai) की तिथि को लेकर लोग में असमंजस की स्थिति है। ज्योतिषि जानकारों की मानें तो सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। मतलब उदया तिथि पर पर्व मनाना शुभ होता है। ऐसे में भाई दूज की तिथि को लेकर उपजी दुविधा को दूर करने के लिए आप भी भाई दूज का शुभ मुहूर्त एवं पूजा का सही समय नोट कर लें।
भाई दूज (Bhai Dooj Date) का शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इसके बाद द्वितीया तिथि यानि भाई दूज (Bhai Dooj Date) शुरू हो जाएगा। तिथि के मुताबिक, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 14 नवंबर को 02 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 15 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक है। भाई दूज (Bhai Dooj Date) का पर्व दिन की बेला में मनाया जाता है। ज्योतिष जानकारों के मुताबिक, बहनें 14 नवंबर को दोपहर के समय से अपने भाई के माथे पर टीका लगा सकती हैं और कलावा बांध सकती हैं। कुल मिलाकर बहनें अपनी सुविधा के मुताबिक, 14 से लेकर 15 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक भाई दूज (Bhai Dooj kab hai) मना सकती हैं।
इसे भी पढ़ें: अयोध्या को सीएम योगी देंगे एक और सौगात
टीके का शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, भाई दूज के दिन भाइयों के माथे पर टीका लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से लेकर 03 बजकर 19 मिनट तक है। इस मुहूर्त में बहनें अपने भाइयों की पूजा कर उनकी सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना कर सकती हैं। इसी दौरान यम द्वितीया भी मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यम देवता अपनी बहन यमुना के घर गये थे। तभी से भाई-बहनों के इस पावन पर्व को मनाने का सिलसिला शुरू हुआ।
इसे भी पढ़ें: राम राज्य का शंखनाद है