कोलंबो। हाल ही में स्विट्जरलैंड में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने की खबर सामने आने के बाद खलबली मच गई थी। दरअसल स्विट्जरलैंड में चेहरा ढकने को लेकर जनमत संग्रह कराया गया था। जिसमें वहां के लोगों ने हिस्सेदारी ली और 51 प्रतिशत आबादी ने इस बात को माना की बुर्का बैन होना चाहिए। वहीं अब श्रीलंका में भी बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा सकता है। साथ ही 1 हजार से अधिक इस्लामिक स्कूलों को बंद कराया जा सकता है। धार्मिक कट्टरपंथ से जूझ रहा श्रीलंका अब बुर्के पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। महिंदा राजपक्षे सरकार के एक मंत्री ने शनिवार को ऐलान किया कि श्रीलंका जल्द ही बुर्का पहनने पर प्रतिबंध के साथ—साथ कम से कम 1 हजार इस्लामी स्कूलों को भी बंद किया जाएगा।
कैबिनेट में बिल पेश
श्रीलंका के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री सरथ वेरासेकेरा ने कहा कि उन्होंने कैबिनेट की मंजूरी के लिए एक बिल पर साइन किया है। इस बिल में राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर मुस्लिम महिलाओं के बुर्का पहनने पर प्रतिबंध की मांग की गई है। अगर यह बिल कैबिनेट से पारित हो जाता है तो श्रीलंका की संसद इस पर कानून बना सकती है।
मदरसों पर भी संकट का साया
वेरासेकेरा ने कहा कि सरकार ने एक हजार से अधिक मदरसा इस्लामिक स्कूलों पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है। उन्होंने यह भी कहा कि ये मदरसे श्रीलंका के राष्ट्रीय शिक्षा नीति की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि कोई भी स्कूल नहीं खोल सकता है और बच्चों को आप जो भी चाहते हैं वह सिखा नहीं सकते हैं।
बुर्का धार्मिक अतिवाद का संकेत-सरथ वेरासेकेरा
सरथ वेरासेकेरा ने कहा कि पहले के समय में मुस्लिम महिलाएं और लड़कियां बुर्का नहीं पहनती थीं। यह हाल ही में आए धार्मिक अतिवाद का संकेत है। हम निश्चित रूप से इस पर प्रतिबंध लगाने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इस कानून से श्रीलंका में मुसलमानों का गुस्सा बढ़ सकता है।
पहले भी लगा चुका है प्रतिबंध
बौद्ध बहुसंख्यक श्रीलंका में साल 2019 में इस्लामी आतंकवादियों के चर्चों और होटलों में किए गए हमले के बाद भी कुछ समय के लिए बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस हमले में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। जिसके बार श्रीलंका ने कई आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था।
शवों को दफनाने पर लगाया था प्रतिबंध
श्रीलंका ने कोरोना महामारी के दौरान संक्रमण से मरे मुसलमानों के शवों को दफनाने पर रोक लगा दी थी। तब सरकार ने यह दलील दी थी कि इससे संक्रमण फैलने की संभावना नहीं होगी। हालांकि, तब इस फैसले को लेकर श्रीलंका के मुस्लिमों ने काफी विरोध किया था। मामला श्रीलंकी की सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था लेकिन फैसला जस का तस रहा। बाद में अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूहों की आलोचना के बाद श्रीलंकाई सरकार ने इस साल की शुरुआत में इस प्रतिबंध को हटा दिया था।
इन देशों में है प्रतिबंध
स्विट्जरलैंड से पहले फ्रांस में 2011 से ही यह बैन लागू है जबकि नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, जर्मनी और डेनमार्क ने पहले से ही इस बैन को मान्यता दे दी है। यहां सार्वजिनक स्थानों पर चेहरा ढकना प्रतिबंधित है।
नीदरलैंड बुर्का प्रतिबंध
कड़ी अदालती लड़ाई के बाद नीदरलैंड ने 1 अगस्त 2019 को बुर्का पर प्रतिबंध लगा दिया था। वर्ष 2005 में डच संसद ने बुर्का पर प्रतिबंध का प्रस्ताव पेश किया, संसद में इसके पक्ष में वोट दिया गया। लेकिन इसके बाद भी इसे लागू नहीं किया गया। बल्कि इसे रोक लिया गया। 2016 में संसद ने इसके हल्के संस्करण को लागू किया। इस देश की आबादी करीब दो करोड़ की है, जिसमें बमुश्किल 200 से 400 महिलाएं ही बुर्का पहनती हैं। यहां की संसद में इसको लेकर 14 सालों तक बहस चलती रही। पहले बुर्का बैन को लेकर हल्का बैन लगाया गया था लेकिन 1 अगस्त 2019 से लागू हुआ नया कानून ना केवल कड़ा बल्कि इसमें 150 यूरो यानि दस हजार रुपए से ज्यादा का फाइन भी लगाया गया है। अगर किसी सार्वजनिक जगह पर बुर्का पहनकर कोई नजर आया तो उसकी उस जगह पर इंट्री भी बैन कर दी जाएगी।
ऑस्ट्रिया में रोक
ऑस्ट्रिया में 2017 में बुर्का पहनने और सार्वजनिक स्थानों एवं इमारतों में चेहरा छुपाने वाली अन्य चीजों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। सरकार ने कहा कि कुछ शर्तों के तहत छूट होगी। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जोकर की वेशभूषा, काम पर पहने जाने वाली चीजें जैसे मेडिकल मॉस्क और ठंड के मौसम में पहने जाने वाले स्कार्फ शामिल हैं। रविवार से नई पाबंदियां प्रभाव में आ गईं।
पाबंदियों का उद्देश्य एक खुले समाज में समाज का सामंजस्य सुनिश्चित करना है। उल्लंघनकर्ताओं पर 150 यूरो तक जुर्माना लगाया जाएगा। यह कदम यूरोपीय संघ के अन्य देशों में उठाए गए कदमों जैसा है। यह पाबंदी आगंतुकों पर पर भी लागू होगी। यद्यपि बड़ी मात्रा में अरब पर्यटक छुट्टियां बिताने के लिए इस देश की यात्रा करते हैं।
फ्रांस और बेल्जियम में भी बुर्के पर पाबंदी
फ्रांस और बेल्जियम ने 2011 में इस तरह का कानून लागू किया था। अब जर्मनी की नैशनलिस्ट ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी पार्टी ने भी वहां बुर्के पर बैन लगाने की मांग की है। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने भी कहा है कि जर्मनी में जहां तक कानूनी रूप से मुमकिन हो सके, चेहरे को ढंकने वाले नकाब पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।