Azamgarh News Today: आजमगढ़ शुरू से समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है। कई राजनीतिक दल इस गढ़ को ढहाने की कोशिश कर चुके हैं मगर यह सफलता मुश्किल से उप चुनाव 2022 में बीजेपी को मिल गयी और बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल निरहुआ चुनाव जीतने में सफल रहे। वहीँ सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव (akhilesh yadav) के आजमगढ़ (Azamgarh News Today) दौरे के बाद सियासत तेज हो गई है। ओलमा काउंसिल ने अखिलेश यादव (akhilesh yadav) पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जिस तरह से सपा सुप्रीमो ने जेल में हत्या के मामले में बंद और शराब माफियाओं के संरक्षक सपा विधायक रमाकांत यादव से मिलने गए इसे यूपी का हर मुसलमान याद रखेगा। आने वाले चुनाव में इसका जवाब समाजवादी पार्टी को मिलेगा।
अखिलेश यादव रमाकांत मुलाकात पर ओलमा काउंसिल ने उठाए सवाल pic.twitter.com/YQp3PrBUUh
— News Chuski (@Newschuski) August 23, 2022
आजम खान और शहजिल इस्लाम नहीं आये याद
राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल के प्रवक्ता तलहा रशादी ने अखिलेश यादव (akhilesh yadav) के (Azamgarh News Today) दौरे पर सवाल उठाते हुए कहा कि ढ़ाई साल जेल में बंद रहे सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान की अखिलेश यादव ने कभी सुधि नहीं ली। इसके अलावा शहजिल इस्लाम के पेट्रोल पर बुलडोजर चलाया गया तब भी अखिलेश यादव कहीं नज़र नहीं आए। इतना ही नहीं नाहिद हसन के साथ भी अखिलेश यादव नहीं खड़े हुए। तलहा रशादी ने आगे कहा कि (Azamgarh News Today) विधानसभा के चुनाव में सपा का साथ मुसलमानों ने दिया। आज जब सपा से जुड़े मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है तो अखिलेश यादव उनके साथ नहीं नज़र आ रहे हैं, जबकि समाजवादी पार्टी शुरू से मुसलमानों के रहनुमा बनने का दिखावा करती रही है।
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बिगड़ सकता है सपा का एम वाई फैक्टर
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी का वेस वोटर मुसलमान और यादव रहे हैं। इसीलिए सपा को एम वाई फैक्टर की पार्टी कहा जाता है। सपा से जुड़े यादव व मुस्लिम वर्ग को पार्टी की नीतियों से कोई लेना देना नहीं होता। उनका केवल एक मकसद है सपा किसी तरह सत्ता में बनी रहे। क्योंकि उन्हें पता होता है कि समाजवादी पार्टी उनके खिलाफ जाकर कोई काम नहीं करेगी। लेकिन अखिलेश यादव नेतृत्व वाली सपा में जिस तरह मुसलमानों की उपेछा हो रही है, मुसलमानों में इसका गुस्सा साफ देखा जा रहा है। जो मुसलमान सपा के इशारे पर बदनाम हो गया आज वह खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। फिलहाल आजमगढ़ की पहचान सपा के गढ़ के रूप में होती है। वहीं वर्ष 1993 के बाद से देश में जब भी कहीं बम धमाके हुए, उसके तार आजमगढ़ से जरूर जुड़े।
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