बस्ती। महिलाओं को इंसाफ मिल सके इस मकसद में पुलिस में महिलाओं की भर्ती की गई थी। लेकिन पुलिस वालों की गंदी हरकत पर अक्सर महिला पुलिसकर्मियों की चुप्पी पीड़िताओं को झेलनी पड़ रही है। इसका ताजा तरीन उदाहरण बस्ती पुलिस बन गई है। जहां इश्कबाज दरोगा को न सिर्फ कहने को पुरुष पुलिसकर्मी बचा रहे थे, बल्कि महिला पुलिसकर्मी भी इसमें शामिल थीं। हालांकि हर घटना का अंत होता है और इस घटना का भी अंत हुआ और इसकी कीमत पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा को भी चुकानी पड़ी। बस्ती पुलिस की किरकिरी होने के बाद नए पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में हरकत में आई पुलिस से अब यह उम्मीद लगने लगी है कि पीड़ित लड़की को इंसाफ मिल जाएगा। इसी कड़ी में आज बहुचर्चित पोखरभिटवा मामले में 14 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
पीड़िता की तहरीर पर 12 पुलिसकर्मी सहित लेखपाल और कानूनगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि सब इंस्पेक्टर दीपक सिंह, सब इंस्पेक्टर राजन सिंह, सब इंस्पेक्टर अभिषेक सिंह, तत्कालिक महिला थाना प्रभारी निरीक्षक शीला यादव, आरक्षी संजय कुमार, तत्कालिक कोतवाल निरीक्षक रामपाल यादव, आरक्षी आलोक कुमार, पवन कुमार कुशवाहा, अवधेश वर्मा, दीक्षा यादव, नीलम, तीन पुलिसकर्मी नाम पता अज्ञात, हल्का लेखपाल शालिनी सिंह, कानूनगो सतीश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
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बता दें बस्ती पुलिस काम से नहीं अपने कारनामों की वजह से चर्चा में बनी रहती है। पिछले दिनों गोरखपुर में स्वर्ण व्यवसायी से लूट मामले में बस्ती पुलिस का नाम सामने आया था। वहीं पोखभिटवा मामले में तो पुलिस ने सब्र की सारी सीमाएं ही लांघ दी। हैरानी तब होती है जब महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार एंटी रोमियो स्क्वायड, पिंक बूथ आदि बनवा रही हो और पुलिस में बैठी महिला पुलिसकर्मी पीड़िताओं को इंसाफ दिलाने के लिए उनकी सौदेबाजी करने में लगी हों। फिलहाल पीड़िता को इंसाफ मिले न मिले, लेकिन उसके साथ अन्याय करने वालों को उनके किए का परिणाम मिल गया है।
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