प्रकाश सिंह
The Kerala Story: फिल्म द केरला स्टोरी रिलीज के बाद से ही विवादों में आ गई है। फिल्म को लेकर राजनीति चरम पर है। द केरला स्टोरी (The Kerala Story) को लेकर कट्टपंथियों से ज्यादा राजनीति दलों में बौखलाहट है। फिल्म का विरोध करने का सबका अपना-अपना तर्क है। जबकि फिल्म सेंसर बोर्ड की मंजूरी के बाद रिलीज हुआ है। लेकिन तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले दलों को लग रहा है कि अगर इस्लामिक कट्टरता की बात सार्वजनिक हो जाएगी, तो उनकी तुष्टीकरण की नीति की पोल खुल जाएगी। लेकिन सच को दबाया जा सकता है, उसे रोका नहीं जा सकता। यही वजह है कि तमाम विरोधों के बावजूद फिल्म द केरला स्टोरी (The Kerala Story) लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है।
फिल्म द केरला स्टोरी (The Kerala Story) में वह दर्शाया गया है, जिसे हम समाज में देख रहे हैं। महसूस कर रहे हैं, लेकिन इस पर चर्चा करना वाजिब नहीं समझते। सबको लगता है कि इसपर चर्चा होगी तो एक वर्ग नाराज हो जाएगा। यह एक वर्ग नाराज न हो जाए, इसलिए सच्चाई पर सबने चुप्पी साध ली है। फिल्म के विरोध में कुछ लोग तर्क दे रहे हैं कि फिल्म तथ्यहीन है, मुस्लिम वर्ग के खिलाफ साजिश है। ऐसे लोगों से सवाल यह भी बनता है कि फिल्म हमेशा घटनाओं की काल्पनिक कॉपी होती है। कुछ कह रहे हैं कि फिल्म में दर्शाये गए लड़कियों की संख्या मेल नहीं खा रहे। तो क्या मान लिया जाए कि हिंदू लड़कियों को लव जिहाद में फंसाया नहीं गया।
द केरला स्टोरी की कहानी इसलिए सच है, क्योंकि केरल सरकार ने बहुत पहले ही सदन में हिंदू लड़कियों के गायब होने की बात को स्वीकार कर चुकी है। फिल्म में हिंदू संस्कृति में चूक कहा है, जिसका फायदा इस्लामिक जिहादी उठाते हैं, उसको बड़ी बारीकी से दिखाया गया है। जो भी इस फिल्म को देख रहा है, वह तारीफ कर रहा है और समाज के इस कड़वे सच को स्वीकार कर रहा है। हिंदू लड़कियों को गुमराह करने में किस तरह मुस्लिम समाज के लड़कों के साथ लड़कियां भी अहम रोल निभा रही है, फिल्म में इसका कच्चा-चिट्ठा खोलकर रख दिया है। इस्लामिक कट्टरता से जूझ रहे पश्चिम बंगाल में फिल्म द केरला स्टोरी के प्रसारण को बैन कर दिया गया है। वहीं मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में टैक्स फ्री किया जा चुका है।
पश्चिम बंगाल में फिल्म का बैन किया जाना कोई नई बात नहीं है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जो जय श्री राम का नारा लगाने पर लोगों को जेल भिजवा देती हैं, कट्टरपंथियों के खिलाफ फिल्म चलाने की अनुमति कैसे दे सकती हैं। पश्चिम बंगाल में हिंदुओं की हालत कैसी है, यह किसी से छिपी नहीं है। तुष्टीकरण की नीति में ममता बनर्जी इस कदर डूब चुकी हैं कि राज्य में हिंदू परिवार विस्थापितों की तरह जिंदगी जीने को मजबूर हैं। फिलहाल फिल्म का विरोध क्यों हो रहा है, इसकी तह में जाएंगे तो शर्मिंदगी महसूस होगी। क्योंकि आज हम उस सच का सपोर्ट नहीं कर पा रहे हैं, जो वास्तव में सच्चाई पर आधारित है।
बॉलीवुड माफिया भी चुप
बॉलीवुड का किस तरह इस्लामीकरण हो चुका है, इसको आप द केरला स्टोरी से पहले द कश्मीर फाइल्स नाम की आई फिल्म में समझ सकते हैं। ये दोनों ही फिल्म सच्चाई पर आधारित और इस्लामिक कट्टरता को दर्शाने वाली है। फिल्मों का विरोध कोई नई बात नहीं है। ऐसी कई फिल्में आई है, जिसका काफी विरोध हुआ है। टॉकीजों में आग तक लगा दी गईं। इन सबके बावजूद फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग फिल्म के समर्थन में आगे आए, वहीं द कश्मीर फाइल्स और द केरला स्टोरी पर बॉलीवुड की चुप्पी यह बताती है कि इंडस्ट्री इस्लामिक फोबिया की शिकार हो चुकी है। जो हिंदू आस्था का मजाक बनाने वाली फिल्म तो बना सकती है, लेकिन इस्लामिक कट्टरता को दर्शाने वाली फिल्म के सपोर्ट में एक शब्द बोल नहीं सकती। हालांकि इस बार फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने द केरला स्टोरी के सपोर्ट में आकर अपनी छवि बदलने की कोशिश की है। फिलहाल द केरला स्टोरी भी द कश्मीर फाइल्स की तरह बिना किसी प्रचार प्रसार और सपोर्ट के रिकॉर्ड तोड़ रही है। जो लोग फिल्म देख रहे हैं, वह दूसरों को भी देखने की सलाह दे रहे हैं।
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