संजय तिवारी
Himachal Pradesh: हिमाचल की टोपी तो वर्षों से शिवप्रताप शुक्ल (Shiv Pratap Shukla) के सिर पर जमी ही है। पूर्व केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने शनिवार को महाशिवरात्रि की पावन तिथि में राजभवन में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के 29वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली। शुक्ला को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना (Justice Sabina) ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उन्होंने संस्कृत में शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) भी मौजूद थे। हिमाचल के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने नियुक्ति का वारंट पढ़ा। शपथ लेने से पहले शुक्ल ने परिवार के सदस्यों के साथ सनातन परंपरा के साथ वैदिक यज्ञ किया।
बाद में मीडिया से बातचीत में राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल (Shiv Pratap Shukla) ने कहा कि यह एक उच्च संवैधानिक पद है और वह राज्य सरकार के समन्वय से काम करेंगे। राज्यपाल ने नियुक्ति के लिए भारत के राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे संविधान के अनुरूप काम करेंगे और पूर्व राज्यपालों द्वारा शुरू किए गए कार्यों को पूरा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य है और अब वह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में योगदान देंगे। उन्होंने कहा कि वह सड़क मार्ग से यात्रा करना पसंद करेंगे, ताकि वह लोगों की समस्याओं को जान सकें और राज्य को अच्छी तरह से समझ सकें।
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राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है और उन्होंने ‘देवभूमि’ में ‘देवभाषा’ में शपथ लेकर इस परंपरा को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि वह राज्य में कौशल विकास के लिए भी काम करेंगे। शुक्ला ने प्रदेश में बढ़ रहे नशे के अवैध कारोबार पर चिंता जताते हुए कहा कि यह बुराई तेजी से हमारी युवा पीढ़ी, देश के भविष्य को अपने शिकंजे में ले रही है। उन्होंने कहा, “सबसे दुखद बात यह है कि आज नशा दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच गया है, जिसे रोकने की जरूरत है। “राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल देवताओं की भूमि है और यहां नशीले पदार्थों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। मेरा प्रयास होगा कि शिक्षण संस्थानों और सामाजिक संगठनों के माध्यम से नशामुक्ति के अभियान को और अधिक व्यापक बनाकर हर व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।”
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के रुद्रपुर के रहने वाले शुक्ला ने आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। वह 1983 में भाजपा में शामिल हुए और 1989, 1991, 1993 और 1996 में विधायक चुने गए। वह 2016 में राज्यसभा के लिए चुने गए।
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