सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) देश को किसके डर से डरा रही है? कौन है जो डरा हुआ है? कश्मीर में एक कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandit) राहुल भट्ट को उसके कार्यालय के घुस कर मार दिया गया। सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) बताएं कि कौन राहुल से डरा हुआ था, जिन्होंने भीड़ बना कर उसकी हत्या कर दी। सोनिया यह भी बताएं कि केरल में एक हिन्दू की हत्या सरेआम की गई। कौन सी भीड़ थी जो डरी हुई थी? बंगाल में एक भाजपा कार्यकर्ता को रस्सी से बांध कर मार कर लटका दिया गया। उस एक कार्यकर्ता से डरी हुई भीड़ कहां से आई थी? दिल्ली में डरी हुई भीड़ लोगों को पत्थर, गुलेल और बोतल में भरे एसिड बम से मार डाल रही। हिन्दू को यह भीड़ जहां अकेला पा रही कही चाकुओं से, कहीं तलवार से, कहीं आग लगाकर, कहीं पत्थर मार कर जैसे इनका मन होता है, इनकी मनमानी लोगों की लगातार जान लेती जा रही। आखिर सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को यह तो बताना ही पड़ेगा कि डरा हुआ कौन है?
सोनिया गांधी को यह भी बताना चाहिए कि सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं का सर्वाधिक लाभ किस कौम ने उठाया है? राशन, दवाई, मकान, वजीफा, बिजली आदि फ्री सेवाओं का सर्वाधिक दोहन किन लोगों ने किया है। वे कौन लोग हैं जो संविधान की हर धारा को चुनौती देकर उसके खिलाफ लगातार काम कर रहे, लेकिन जब कोई सरकार या व्यवस्था उन्हें संविधान को मानने को कहती है तो वे ही सबसे पहले न्यायालय पहुच कर संविधान की दुहाई देकर सर्वाधिक लाभ भी पा रहे। क्योंकि वे भले दंगों में देश के मूल बहुसंख्यकों के ऊपर अथाह अत्याचार करते हैं लेकिन उनको ही सहूलियत देने के लिए आधी रात को न्यायालय खोल दिये जाते हैं और घोषित, प्रमाणित दंगाइयों को जमानत भी दे दी जाती है।
सोनिया, आप तो दिल्ली में ही रहती हैं। याद कीजिये, सुबह 10 बजे से दिल्ली की जहांगीरपुरी में बुलडोजर चलने शुरू हो गए थे। एक घंटे बाद सुबह 11 बजे ये मामला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच के सामने उठाया गया और तुरंत आधे घंटे के अंदर सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में स्टे लगा दिया यानी यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। लेकिन आधिकारिक रूप से कोई कागज एमसीडी के पास नहीं पहुंचा था तब बड़ी बिंदी गैंग की लीडर कम्युनिस्ट नेता बृंदा करात देश विरोधी रंगमंच पर प्रकट हुई। पता चला कि बृंदा करात भागी भागी जहांगीरपुरी आई थी… बुलडोजर के सामने खड़ी हो गई और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी वहां सीनियर अधिकारियों को दी जिसके बाद कार्रवाई रोक दी गई। ऐसा पहली बार नहीं हुआ।
जब भी देश में जिहादियों पर एक्शन होता है, ऐसा ही होता है। बांग्लादेशियों और रोहिंग्या पर कार्रवाई होती है तो आप जैसे लोगों को डर लगता है, यह देश जान चुका है। रोहिंग्या-बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजने की मांग वाली जनहित याचिका 2017 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन किसी भी राज्य सरकार ने आजतक नहीं बताया कि घुसपैठियों को निकालना चाहते हैं या नहीं? आखिर आपको भी इस पर बोलना ही चाहिए। आपके लिए यह चिंता जैसी बात नहीं लगती।
एक और बात। आखिर वह घटना कोई भी भूल नहीं सकता है जब बंगाल में चुनाव जीतने के बाद टीएमसी के गुंडे, अनुसूचित जाति, जनजाति के हिंदुओं का मध्ययुगीन क्रूरता के साथ दमन कर रहे थे और सुप्रीम कोर्ट सो रहा था। आपके लिए यह भी डर की बात नहीं थी। आपको जान लेना चाहिए कि उस समय सुप्रीम कोर्ट को जगाने के लिए याचिका दायर की गई थी। याचिका एक दो हफ्ते तक पेंडिंग पड़ी रही। इन दो हफ्तों के अंदर बंगाल में हिंदुओं का खून बहता रहा, लेकिन तब आपको शायद डर का माहौल दिखा ही नहीं।
देश के प्रधानमंत्री पंजाब के दौरे पर थे। आपकी पार्टी की सरकार थी। प्रधानमंत्री को यात्रा रोक कर लौटना पड़ा। आपकी पार्टी और आपके मुख्यमंत्री दोनों सब जान रहे थे। ऐसा हो नहीं सकता कि आपको जानकारी न हो। यह अलग बात है कि भारत में इस समय एक भारतीय विचारधारा की सरकार है, जिसके प्रधानमंत्री ने आपकी सरकार पर कोई कार्रवाई नहीं की। वरना आपकी पार्टी की सरकारों के समय किस तरह राज्यों की सरकारें बर्खास्त कर दी जाती थीं, वह आप स्वयं जानती होंगी। आप आज किन शक्तियों के लिए किनके इशारे पर नरेटिव सेट कर रही हैं, यह देश जानता है।
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वे संसद को नहीं मानते। वे संविधान को नहीं मानते। वे देश की कानून व्यवस्था को नहीं चलने देना चाहते। अपने देश के उन निवासियों के लिए जो दूसरे देशों में अल्पसंख्यक हैं, अगर उनके लिए सरकार कोई कानून बनाकर अपने उन नागरिकों को सुरक्षित करना चाहती है तो इस आवश्यक प्रयास के खिलाफ आगजनी और बमबारी शुरू कर देने वालों से हमदर्दी रखने वाली सोनिया गांधी को यह तो बताना ही चाहिए कि वह और उनकी पार्टी आखिर भारत को भारतीय संविधान के जरिये चलाना चाहती हैं या उन घुसपैठियों और अराजक हमलावरों के साथ उनकी संवेदना है। क्या सोनिया गांधी को भारत की तस्वीर नहीं दिख रही? क्या उन्हें यह नहीं दिख रहा कि देश में अधिकांश जनता भारत के संविधान के अनुरूप चल रही व्यवस्था की इज्जत करते हुए देश की प्रगति में जुटी है और दूसरी तरफ वे अराजक भीड़ जुटाने वाली शक्तियां हैं, जिनको संविधान केवल एक ढाल के रूप में दिख गया है।
यह गजब का नरेटिव है सोनिया। इस नैरेटिव को यदि ऐसे ही आपको चलाना है तो फिर वास्तव में स्थिति गंभीर है। आप उन राज्यों के हालात की विवेचना क्यों नहीं करतीं, जिनमें आपकी सरकारें हैं। सबसे ताजा उदाहरण राजस्थान का ही है। यह भारत का एक मात्र राज्य है, जहां कभी भी मुस्लिम आधिपत्य नहीं रहा। राजस्थान में किसी स्थान का नाम इस्लामिक नहीं है। आप लोगों ने हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थल पुष्कर को छिपा कर अजमेर में बदल दिया। तब भी किसी ने आपका विरोध इसलिए नहीं किया, क्योंकि अजमेर में आपकी आस्था है और हो सकता है कि वहां से आपकी शक्ति बढ़ती हो। लेकिन अभी हाल ही में राजस्थान को आपकी भीड़ ने दंगों में झोंक दिया। जोधपुर जैसे शांत और सभ्य नगर पर आपकी भीड़ काबिज हो गयी और लोगों का जीना मुहाल हो गया। यही हाल आपने बंगाल और केरल में कर रखा है। आपकी आंखें न बंगाल का भयावह स्वरूप देख पा रही हैं और न ही केरल की अराजकता।
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सोनिया गांधी, आपसे कोई शिकायत इसलिए भी नहीं, क्योंकि देश आपकी योजना और आपके नैरेटिव को समझ चुका है। असहिष्णुता के बाद आपका नया नारा है डर। तो डरिये। डरिये इसलिए क्योंकि आपका नरेटिव अब देश समझ चुका है। डरिये इसलिए कि आपकी ईसाई संतानों को भारत ईसाई ही मानता है। किसी सुरजेवाला के यह कहने से कि आपके सुपुत्र जनेऊधारी ब्राह्मण हैं, देश उन्हें ब्राह्मण क्या एक सामान्य भारतीय भी नहीं स्वीकार करने वाला। आप डरिये क्योंकि आपकी पार्टी, आपके परिवार, आपकी योजना, आपकी नीयत और आपकी नैतिकता से भारत परिचित हो चुका है। डरिये क्योंकि आपके भीतर कोई भारतीयता बची ही नहीं है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)