Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का नाम आते ही दिमाग में चाँद, श्रृंगार, उपवास और पति की लंबी उम्र की कामना का खूबसूरत चित्र उभरता है। यह व्रत सुहागिनों के लिए सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि संयम, तपस्या और अपने पति के प्रति गहरी आस्था का प्रतीक है। लेकिन इस पवित्र दिन के आसपास एक सवाल अक्सर कई जोड़ों के मन में आता है, जिसे वे पूछने में झिझक भी महसूस करते हैं। क्या करवा चौथ की रात व्रत खोलने के बाद पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने चाहिए? आइए, इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं और समझते हैं कि धार्मिक नजरिए से इस बारे में क्या कहा गया है।
संयम और तपस्या का पर्व है करवा चौथ
यह बात समझनी जरूरी है कि करवा चौथ सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का ही व्रत नहीं है। इसे संयम और तपस्या का पर्व माना गया है। इस दिन महिलाएं न सिर्फ भोजन-पानी का त्याग करती हैं, बल्कि मन और इंद्रियों पर नियंत्रण रखने की कोशिश भी करती हैं। यह व्रत पति की सेहत, लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में सुख-शांति की कामना के लिए रखा जाता है।

क्या कहते हैं शास्त्र
धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के अनुसार, करवा चौथ की रात शारीरिक संबंध बनाना उचित नहीं माना गया है। इसके पीछे मुख्य तर्क यह है कि यह व्रत पूरी तरह से पवित्रता और मानसिक संयम पर केंद्रित है। व्रत के दौरान और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने तक मन को भगवान और अपने पति की भलाई में लगाए रखने की सलाह दी जाती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस पवित्र दिन पर कामवासना जैसी भावनाओं पर लगाम लगाकर रखना व्रत का असली उद्देश्य पूरा करता है। ऐसा माना जाता है कि शारीरिक संबंध बनाने से व्रत की पवित्रता भंग हो सकती है और इसके पूरे फल में कमी आ सकती है।

आखिर क्यों है यह मनाही
व्रत का उद्देश्य: करवा चौथ का मकसद संतान प्राप्ति नहीं, बल्कि पति की दीर्घायु है। शास्त्रों में संतान प्राप्ति के लिए अलग-अलग तिथियाँ और विधान बताए गए हैं।
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तपस्या का हिस्सा: यह व्रत एक तरह की तपस्या है, और तपस्या में इंद्रियों पर नियंत्रण सबसे जरूरी माना गया है।
मानसिक पवित्रता: इस दिन मन को विचलित करने वाले हर काम और विचार से दूर रहने की सलाह दी जाती है ताकि पूरी श्रद्धा और एकाग्रता के साथ व्रत का पालन किया जा सके।
हालाँकि आज के जमाने में हर कोई अपने नजरिए से फैसला ले सकता है, लेकिन अगर शास्त्रों और परंपरा की बात करें, तो करवा चौथ जैसे पवित्र व्रत की रात को संयम बरतना ही अधिक फलदायी माना जाता है। यह दिन आपसी प्यार, समर्पण और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने का है। इसलिए, इसकी पवित्रता को बनाए रखने के लिए इस रात संयम बरतना ही बेहतर विकल्प है।
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