लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सपा बसपा में जबरदस्त सेंधमारी कर रही है। बसपा के कई दिग्गज नेता अब तक सपा का दामन थाम चुके हैं। वहीं पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे और बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी के समाजवादी पार्टी में आने की अटकलें तेज हो गई हैं। दरअसल शनिवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से विनय शंकर तिवारी की हुई मुलाकात के बाद यह कयासबाजी शुरू हो गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले विनय शंकर तिवारी सपा में शामिल हो सकते हैं। बता दें कि विनय शंकर तिवारी मौजूदा समय में चिल्लूपार विधानसभा सीट से बसपा से विधायक हैं।
बता दें कि नेता चुनावी रुख को काफी बेहतर समझते हैं। उत्तर प्रदेश में अभी तक जो चुनावी समीकरण बन रहे हैं, उसमें सपा भाजपा को कड़ी टक्कर देती दिख रही है। शायद यही वजह है कि अन्य दलों के नेता सपा और भाजपा में अपनी जगह तलाश रहे हैं। सपा सत्ता में आने के लिए पूरा जोर लगा रही है और इसी के तहत दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को प्रमुखता के साथ पार्टी में शामिल कराने में जुटी हुई है। राज्य में सबसे ज्यादा भगदड़ की स्थिति बसपा में देखी जा रही है। अब तक पार्टी के कई दिग्गज नेता बसपा का अलविदा कह चुके हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा विधायक विनय तिवारी की मुलाकात के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि जल्द ही वह सपा में शामिल हो सकते हैं।
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गौरतलब है कि पूर्वांचल में हरिशंकर तिवारी का कुनबा बड़े ब्राह्मण नेताओं में शामिल है। पूर्वांचल में ब्राह्मणों का नेतृत्व हरिशंकर तिवारी करते रहे हैं। ऐसे में विनय शंकर तिवारी के सपा में शामिल होने से पार्टी को ब्राह्मण वोट साधने में काफी मदद मिलेगी। ज्ञात हो कि हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे कुशाल तिवारी संत कबीर नगर से दो बार सांसद रह चुके हैं। वहीं छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा सीट से बसपा से विधायक हैं। इसके अलाव उनके भांजे गणेश शंकर पांडेय प्रदेश में मायावती सरकार के दौरान विधान परिषद के सभापति रह चुके हैं। उधर चर्चा है कि विनय शंकर तिवारी के साथ तीन अन्य ब्राह्मण नेता भी सपा में शामिल हो सकते हैं।
बताते चलें कि राज्य में चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों में ब्राह्मणों को लुभाने की होड़ सी लगी है। राजनीतिक पार्टियां ब्राह्मण सम्मेलन, प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन आदि का आयोजन कर रही हैं। जबकि ब्राह्मणों को भाजपा माना जाता रहा है। ऐसे में विनय शंकर तिवारी के सपा में आने से जहां पार्टी और मजबूत होगी, वहीं भाजपा और बसपा के लिए इसे तगड़ा झटका माना जा रहा है।
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