Mrityunjay Dixit
मृत्युंजय दीक्षित

रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा संपन्न हो चुकी है। राष्ट्रपति पुतिन की यह यात्रा भारत- रूस मैत्री की वर्तमान दिशा और भविष्य की रूपरेखा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। यह यात्रा ऐसे समय मे हुई है जब रूस स्वयं यूक्रेन युद्ध के रूप में गंभीर संकट में फंसा है। अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश युद्ध समाप्त करने के लिये यूक्रेन की बजाए रूस पर दबाव डाल रहे हैं और भारत पर रूस से व्यापार न करने का दबाव बनाने के लिए तरह -तरह के प्रतिबंध लगाकर धमकियां दे रहे हैं।

रूस- भारत के सम्बंध सात दशक पुराने हैं। बीसवीं सदी के छठे और सातवें दशक में जब चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध बेहद तनावपूर्ण थे तब भी सोवियत संघ डटकर भारत के साथ खड़ा रहा था। तत्कालीन सोवियत संघ ने वैश्विक मंचों पर भारत को कूटनीतिक समर्थन दिया। 1962 में चीन युद्ध के बाद भारतीय सेनाओं के आधुनिकीकरण में सहयोग दिया जबकि अमेरिका व पश्चिमी देश बाधक बने रहे। अटल जी की सरकार में भारत के परमाणु परीक्षण करने पर जहां अमेरिका व पश्चिमी देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे, किन्तु तब भी सोवियत संघ भारत के साथ खड़ा रहा था।

कारगिल युद्ध हो या फिर भारत पर हुए आंतकवादी हमले सोवियत संघ सदा भारत के साथ रहा। लम्बे समय तक भारत और रूस के संबंधों में रक्षा क्षेत्र का प्रभुत्व रहा, जिसमें भारत खरीददार था और रूस विक्रेता। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार बनने के बाद भारत ने रक्षा आपूर्ति में विविधता लाने का निर्णय लिया। आज भारत रूस के साथ मात्र क्रेता की भूमिका में नहीं, अपितु साझीदार के रूप में खड़ा है।

राष्ट्रपति पुतिन तथा प्रधानमंत्री मोदी के मध्य हुई द्विपक्षीय शिखर वार्ता के उपरांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो उद्गार व्यक्त किये वह अत्यंत सटीक हैं। भारत-रूस संबंध एक धुव तारे की तरह ही हैं जो सभी परिस्थितियों में चमकते रहे हैं। पुतिन की इस यात्रा में दोनों नेताओं ने आर्थिक सहयोग को नई ऊचाइयों पर ले जाने के लिए 2030 तक के एक आर्थिक सहयोग कार्यक्रम पर सहमति बनाई है। दोनों ही नेताओं ने विश्व से आतंकवाद से लड़ने की अपील की। शिखर वार्ता और साझा बयान में प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पहलगाम और रूस के क्रेकस सिटी हॉल में हुए आतंकी हमलों की कड़ी निंदा की गई। पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में भारत रूस ने कंघे से कंधा मिलाकर सहयोग किया है।

भारत रूस मैत्री संबंध आगे और प्रगाढ़ होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर अपनी मंत्रिपरिषद के सहयोगियों के साथ पुतिन का स्वागत करने के लिए स्वयं एयरपोर्ट पहुंचे। पुतिन को 21 तोपों की सलामी के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। दोनों देशों के मध्य ऊर्जा व स्वास्थ्य सहित कई क्षेत्रों में सहयोग के लिए समझौते हुए हैं। रूस ने भारत को बिना रुकावट ईंधन आपूर्ति करने का भरोसा दिया है। दोनों देशों के मध्य परमाणु सहयोग जारी रहेगा। महत्वपूर्ण दुर्लभ खनिजों के क्षेत्र में सहयोग और बढ़ाया जाएगा। रूसी पक्ष ने स्पष्ट किया कि वह 2030 तक व्यापार को 100 अरब डालर तक बढ़ाने के प्रयास में अधिक भारतीय वस्तुओं का आयात करेगा। रूसी नागरिकों को 30 दिनों की वीजा मुफ्त यात्रा सुविधा मिलेगी। दोनों देशों के मध्य खाद्य सुरक्षा नियमों को मजबूत करने पर भी समझौता हुआ है।

चिकित्सा अनुसंधान व स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर समझौता हुआ। दोनों देशों ने कुल 11 अहम समझौते किए, जिसमें उर्वरक, स्वास्थ्य सेवा, वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा और नागरिकों के बीच पारस्परिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों मे सहयोग से संबंधित हैं। दोनों देशों के मध्य परिवहन गलियारों पर और अधिक सहयोग बढ़ाने पर सहमति हो गई है। दोनों देशों के मध्य एक बहुत महत्वपूर्ण व अब तक का सबसे बड़ा रक्षा समझौता हुआ, जिस पर पूरे विश्व की दृष्टि थी। रूस के साथ एस- 400 और एस- 500 को लेकर डील पक्की हुई है, किन्तु अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। भारत अब अपनी थलसेना के लिए रूस के सबसे मजबूत टैंक की खरीद भी करने जा रहा है। नई व्यवस्था के अंतर्गत अब दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों, पोर्ट और सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगी। यह रक्षा सहयोग को और अधिक व्यावहारिक और संचालन स्तर पर मजबूत बनाता है। अब रूस अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों की प्रौद्योगिकी भी साझा करने पर सहमत हो गया है।

दोनों देशों के मध्य मीडिया और प्रसारण सहयोग बढ़ाने को लेकर भी समझौता हुआ है। व्यापार को और सरल बनाने के लिए दोनों देशों की राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान किया जाएगा। भारत और रूस के मध्य हुए समझौतों का स्वरूप बहुत ही व्यापक और गहरा है। अमेरिका के साथ टैरिफ वार के बीच जहाँ भारत व्यापार बढ़ाने के लिए नया बाजार खोज रहा था, वहीं रूस को भी इसकी आवश्यकता थी, क्योंकि रूसी बाजार चीनी उत्पादों से भरते जा रहे हैं और रूस अपने बाज़ार को किसी एक देश पर आश्रित नहीं रख सकता।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को उनकी भारत यात्रा के दौरान भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, कला और परंपरा का प्रतिनिधित्व करने वाले छह विशेष उपहार भी भेंट किए हैं। इन उपहारों में सबसे विशिष्ट रूसी भाषा में अनुवादित श्रीमद्भगवदगीता है जो सर्वाधिक चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके अतिरिक्त रूसी राष्ट्रपति को कश्मीरी केसर, असम की काली चाय, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद का चांदी का नक्काशीदार चाय का सेट, आगरा का हस्तनिर्मित संगमरमर का शतरंज सेट और महाराष्ट्र का हस्त निर्मित चांदी का घोड़़ा भी उपहार में दिया गया है। ये उपहार भारत की एक जिला एक उत्पाद जैसी पहल को भी बढ़ावा देते है। राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी के लोकल फॉर वोकल, मेड इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे आह्वानों का समर्थन और स्वागत किया।

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जब विश्व के दो शक्तिशाली नेता आपस में मिलते हैं तो वैश्विक जगत में उसकी चर्चा होना स्वाभाविक है। मोदी और पुतिन की भेंट सबकी दृष्टि रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रधानमंत्री मोदी के पक्ष पर थी। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि भारत इस युद्ध में न्यूट्रल नहीं अपितु शांति के पक्षधर हैं ।दोनो ही नेताओं ने शीघ्र ही शांति स्थापित होने और वैश्विक जगत को राहत मिलने की बात कही। राष्ट्रपति पुतिन की इस भारत यात्रा ने पूरे विश्व को स्पष्ट सन्देश दे दिया कि भारत और रूस दोनों ही देश बाहरी दबाव झेलने सक्षम हैं। दोनों ही देशों ने बिना किसी दबाव के द्विपक्षीय महत्व के अनेक क्षेत्रों में प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए। यही सामर्थ्य और अडिगता दोनों देशों के मध्य ध्रुव तारे जैसी मैत्री का आधार है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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