Kavita: समरसता गीत
छोड़ विषमता की बातों को, हिंदू राष्ट्र अपनी पहचान; सामाजिक समरसता से ही, अपना भारत बने महान-2। कोटि हिंदु से बना है भारत, कोटि हिंदु अपनी पहचान; ध्यान रहे भारत…
छोड़ विषमता की बातों को, हिंदू राष्ट्र अपनी पहचान; सामाजिक समरसता से ही, अपना भारत बने महान-2। कोटि हिंदु से बना है भारत, कोटि हिंदु अपनी पहचान; ध्यान रहे भारत…
एक दिन नाचते-नाचते पता लगा यह जो यहां आता है, कुछ सकुचाता, कुछ घबराता है, वह राजकुमार है, लुटेरे वंश की गद्दी का अकेला हकदार है। दिमाग खिल उठा, दिल…
ज्यों निकल कर बादलों की गोद से थी अभी इक बूँद कुछ आगे बढ़ी, सोचने फिर-फिर यही जी में लगी आह क्यों घर छोड़ कर मैं यूँ कढ़ी। दैव मेरे…
हम थे गजब दीवाने, बस दीवाने रह गए, सिरहाने हुए लोग, हम पैताने रह गए। जब वक्त की धारा के साथ बह नहीं पाए, फेंका लहर ने दूर तो अनजाने…
काम करने का एक ही रास्ता मेहनत से सदा रखें वास्ता ना काम करने के सौ बहाने बातों से ही किले बनाने।। जो हैं मेहनत के अनुयाई उन्होंने मार कभी…
परीक्षाओं में असफल हुए पुरुष अक्सर प्रेम में भी असफल हो जाते हैं। विवाह की पहली रस्म पुरुष की आय पूछना होती है दूसरी पुरुष की आयु तीसरी पुरुष का…
क्या लगता है मैं रुकूँगा नहीं, असंभव। क्या लगता है मैं झुकूँगा नहीं, असंभव।। कष्टों को खूँटी पर रखकर सूर्य से नज़र मिलायेंगे। असि मनोबल की लेकर रण-भूमि में भिड़…
सभी कविताएं पुष्पों की भांति कोमल नहीं होती कुछ कविताएं खूंखार कुत्ते की भांति काटने को दौड़ती हैं उनके अंदर करुणा नहीं आक्रोश भरा होता है। कविताएं सीधी गायों की…
तुम्हारी भीड़ बन लूंगी मुझे तुम भीड़ कर लेना। मगर नजदीक घर के तुम। अपना नीड़ कर लेना।। सुना था जब के तुम आए सभी को प्यार से देखा। कहीं…
जिसके जीवन में राष्ट्र प्रथम, जिसके उर में था पला ताप। क्षण-क्षण राष्ट्र समर्पित था जो, रण बांकुरा अमर राणा प्रताप।। सब सुविधाएं त्याग जो बढ़ा, झुका न टूटा कभी…