Poetry: अनुभूति के स्वर…
मैं चल रहा उस राह पर, जिस पर चलाया राम ने। है वही देता दिशा-दृष्टि, सृष्टि रचाई प्रभु नाम ने।। जो हो रहा होगा अभी जो, उसकी कृपा मय चाह…
मैं चल रहा उस राह पर, जिस पर चलाया राम ने। है वही देता दिशा-दृष्टि, सृष्टि रचाई प्रभु नाम ने।। जो हो रहा होगा अभी जो, उसकी कृपा मय चाह…
Kahani: जिस भूमि में जैसे कर्म किए जाते हैं, वैसे ही संस्कार वह भूमि भी प्राप्त कर लेती है। इसलिए गृहस्थ को अपना घर सदैव पवित्र रखना चाहिए। मार्कण्डेय पुराण…