Kavita: बहुत उदास मन
बहुत उदास मन नहीं लिख पाता सुंदर कविताएँ ना ही गुनगुना पाता है कोई मधुर गीत जो दे सके सुकून अंतरात्मा को बहुत उदास मन चाहता है मुक्ति स्वयं की…
बहुत उदास मन नहीं लिख पाता सुंदर कविताएँ ना ही गुनगुना पाता है कोई मधुर गीत जो दे सके सुकून अंतरात्मा को बहुत उदास मन चाहता है मुक्ति स्वयं की…
मैं जिसे पूरा समंदर चाहिए था एक क़तरा भी नहीं मिला मुझे ख्वाहिश थी खुद को ढूंढ लाने की फिर आइना भी, टूटा मिला मुझे ना मिलता तू तो जब्त…
काली औरतें छुपा ले गयी संसार के सारे काले करतूत धोखा खाकर सोचती रही घण्टों बंद कमरों में अपने माशूक को अपने निबालों में खाती रही भर-भर कर कोयले के…
वृक्ष हमारे जीवन दाता, स्वास्थ्य आरोग्य व प्राण प्रदाता। जानें इनके गुण गौरव को, है समाज से इनका गहरा नाता।। वृक्ष बचायें वृक्ष लगाएं, ज़न ज़न को मिल कर समझाएं।…
माँ भोर में उठती है कि माँ के उठने से भोर होती है ये हम कभी नहीं जान पाये। बरामदे के घोसले में बच्चों संग चहचहाती गौरैया माँ को जगाती…
बहुत-सी प्रेम कहानियाँ मर जाती हैं जातियों के तले दबकर, जातियाँ हँसती हैं और खिलखिला कर कहती हैं “लो मैंने तुम्हें मार दिया” और प्रेम अपनी आख़िरी साँस तक एक…