मदिरा की महिमा
वाह! रे मदिरा तेरी तो, है महीमा अपरम्पार! तुम्हीं चलाते अर्थव्यवस्था, तुमसे है सरकार!! श्रम, संकट, संताप भूल नर, सपनों में खो जाता है। रंक पीये जो एक घूँट तो…
वाह! रे मदिरा तेरी तो, है महीमा अपरम्पार! तुम्हीं चलाते अर्थव्यवस्था, तुमसे है सरकार!! श्रम, संकट, संताप भूल नर, सपनों में खो जाता है। रंक पीये जो एक घूँट तो…