Kahani: संन्यासी की जड़ी-बूटी

Kahani: बहुत समय पहले की बात है, एक वृद्ध संन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहता था। वह बड़ा ज्ञानी था और उसकी बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी।…

Prerak Prasang: मृत्यु के साथ मिट जाते हैं रिश्ते

Prerak Prasang: एक बार देवर्षि नारद अपने शिष्य तुम्बरू के साथ मृत्युलोक का भ्रमण कर रहे थे। गर्मियों के दिन थे। गर्मी की वजह से वह पीपल के पेड़ की…

Prerak Prasang: स्वर्ग और नरक

Prerak Prasang: स्वर्ग- यह नाम है सुख विशेष या उस विशेष सुख को प्राप्त करने की सामग्री का। नरक- यह नाम है दुःख विशेष या उस दुःख को प्राप्त करने…

Kahani: थूकने वालों से दूर रहो

Kahani: एकबार नाव डूबने के बाद नाविक और पांच-सात कुशल तैराक नदी में तैरकर अपनी-अपनी जान बचाये। उधर नाव सबको नदी में छोड़, खुद आगे निकल गई। बचे हुए लोग…

Kahani: कर भला तो हो भला

Kahani: जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले तब काल उसको लेने आया। और जैसे ही काल आया गिद्धराज जटायु ने मौत को ललकार कहा, “खबरदार ये मृत्यु।…

Prerak Prasang: राजा ने महात्मा से पूछा भगवान का काम

Prerak Prasang: एक बार एक राजा ने अपने दरबारी मंत्रियों से पूछा, प्रजा के सारे काम मैं करता हूँ, उनको अन्न मैं देता हूँ, रोजगार मैं देता हूँ। उनकी बेटियों…

Kahani: मुश्किल दौर

Kahani: एक बार की बात है, एक कक्षा में गुरुजी अपने सभी छात्रों को समझाना चाहते थे कि प्रकृति सभी को समान अवसर देती है। उस अवसर का इस्तेमाल करके…

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