Kahani: सच्चा प्रेम

Kahani: भाभी आपकी पिंक वाली साड़ी चाहिए, मेरी फ्रेंड की शादी है। राधिका की ननद साक्षी ने राधिका से कहा तो राधिका बोली- इसमें पूछने की क्या बात है! अलमारी…

Kavita: नदियों की दुर्गति से समझें

है शरीर यदि स्वस्थ्य हमारा, हम कुछ भी कर सकते हैंI कोई असम्भव कार्य नहीं है, ऊंची उड़ान भर सकते हैं।। स्वस्थ शरीर के लिए चाहिए, नस नाड़ी सब स्वस्थ्…

Kavita: लें राणा का संकल्प

जिसके जीवन में राष्ट्र प्रथम, जिसके उर में था पला ताप। क्षण-क्षण राष्ट्र समर्पित था जो, रण बांकुरा अमर राणा प्रताप।। सब सुविधाएं त्याग जो बढ़ा, झुका न टूटा कभी…

Kavita: आओ चलें गांव में अपने

आओ चलें गांव में अपने, मिल कर घर द्वार सजाएं। मिलें परस्पर सब नर नारी, ग्रामोत्सव सुखद मनाएं।। यहाँ विरासत पुरखों की है, पितृ कर्म भूमि य़ह मेरी। स्मृतियों की…

Kavita: लोकतंत्र के विजयोत्सव से

लोकतंत्र के विजयोत्सव से, ज़न ज़न में अभय भाव जागे। जीवन मूल्य सनातन होंगे, हो भारत में रामराज्य आगे।। एकात्म दृष्टि होगी समाज में, होगी सबको बढ़ने की सुविधा। चहुं…

Kavita: चटनी और कांदों के साथ माँ

रोटियाँ, चटनी और कांदों के साथ माँ थैले में रख देती है दो जोड़ी कपड़ों में तह करके आशा पश्चिम की ओर मुँह कर करती है तिलक लगाती है चावल…

Kavita: मेरे गाँव! जा रहा हूँ दूर-दिसावर

मेरे गाँव! जा रहा हूँ दूर-दिसावर छाले से उपने थोथे धान की तरह तेरी गोद में सिर रख नहीं रोऊँगा जैसे नहीं रोए थे दादा दादी के गहने गिरवी रखते…

Kavita: मेरी मां को

मेरी मां को तस्वीर के लिए मुस्कुराना नहीं आता मैं जैसे ही खोलती हूं कैमरा वो झेंपने लगती हैं शर्माती हैं आठवीं कक्षा की लड़की सी दो तीन बार पल्लू…

Kavita: नववर्ष द्वार है खड़ा तुम्हारे

नववर्ष द्वार है खड़ा तुम्हारे, प्रकृति ने उसे सजाया है। है पृथ्वी का प्राकट्य दिवस, जग को बतलाने आया है।। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर्व, श्री सम्पदा साथ में लाया है।…

Kavita: दिल अंदर दिलदार है अंदर

दिल अंदर दिलदार है अंदर, प्रीतम प्रेमी प्यार है अंदर। परमपुरुष की सारी रचना, साथ में रचनाकार है अंदर। विष्णु अंदर ब्रह्मा अंदर, शिव अंदर शिवद्वारा अंदर। नवदुर्गा ग्रह चंद…