हिंदी: राजभाषा, राष्ट्रभाषा और विश्वभाषा

(अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन, वाराणसी (13-14 नवंबर) के अवसर पर विशेष) एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति और संस्कारों…

फेक न्यूज के दौर में डिजिटल सत्याग्रह की जरूरत: प्रो. संजय द्विवेदी

दौसा: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने फेक न्यूज पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि फेक न्यूज के इस दौर में डिजिटल सत्याग्रह की…

100 करोड़ वैक्सीन डोज का सुरक्षा कवच

हमारे शास्त्रों में कहा गया है, ‘त्याज्यम् न धैर्यम्, विधुरेऽपि काले’। अर्थात, कठिन से कठिन समय में भी हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए। किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए…

‘स्वच्छ भारत’ से होगा ‘स्वस्थ भारत’ का निर्माण

‘स्वच्छ भारत अभियान’ को जन आंदोलन बनाने में भारत के प्रत्येक व्यक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। समाज और राष्ट्र के निर्माण में स्वच्छता की बुनियादी भूमिका के बारे में…

राष्ट्रीय सुरक्षा में मीडिया की अहम भूमिका: कैप्टन बंसल

नई दिल्ली: विश्व के तमाम देश आतंकवाद की समस्या से जूझ रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। मीडियाकर्मियों सहित हम सभी की यह जिम्मेदारी…

तनाव मुक्त जीवन के लिए जरूरी है आध्यात्म: प्रो. संजय द्विवेदी

नई दिल्ली: जब पत्रकार तनाव में रहते है, तब वे जनता को तनावपूर्ण खबरें देने का माध्यम बनते हैं। जो हम दूसरों को देंगे, वही हमें मिलेगा, चाहे वो खुशी…

‘डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन’ को चला रहे हैं 4 ‘C’: प्रो. संजय द्विवेदी

नई दिल्ली: समय के साथ मीडिया की भूमिका बदली है। आज पारंपरिक मीडिया स्वयं को डिजिटल मीडिया में परिवर्तित कर रहा है। इस ‘डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन’ को अगर कोई चला रहा…

जनसंवाद कला के जानकार थे गांधी: प्रो. भारद्वाज

नई दिल्ली: महात्मा गांधी जनता से संवाद की कला के सबसे बड़े जानकार थे। उनके हर आंदोलन की बुनियाद में अपनी बात को कह देने और सही व्यक्ति तक उसको…

मीडिया के भारतीयकरण से होगा मूल्यनिष्ठ समाज का निर्माण: प्रो. संजय द्विवेदी

नई दिल्ली: जब हम आध्यात्म से जुड़ते हैं, तो स्वार्थ से दूर हो जाते हैं और ऐसी मूल्य आधारित जीवनशैली हमें मनुष्यता के करीब ले जाती है। लेकिन भारतीय मीडिया…

25 सितंबर, जयंती विशेष: वैकल्पिक राजनीतिक दर्शन प्रदान करने वाले नायक हैं दीनदयाल

भरोसा करना कठिन है कि पं. दीनदयाल उपाध्याय (Pt. Deendayal Upadhyay) जैसे साधारण कद-काठी और सामान्य से दिखने वाले मनुष्य ने भारतीय राजनीति को एक ऐसा वैकल्पिक विचार और दर्शन…

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