Kahani: सबसे श्रेष्ठ धर्म

Kahani: एक राजा ने घोषणा की कि जो धर्म श्रेष्ठ होगा, मैं उसे ही स्वीकार करूँगा और आगे बढ़ाने में मदद दूँगा। अब तो उसके पास अपने धर्म की श्रेष्ठता…

Kahani: भक्तों के लिए भोले और दुष्टों के लिए महाकाल है शिव

Kahani: संसार में भगवान की भक्ति सुख और शान्ति प्राप्त करने का अमोघ साधन है। इससे उत्तम साधन और कोई नहीं है, क्योंकि भक्त को ईश्वर का आश्रय रहता है…

Kahani: हनुमानजी और कुम्भकर्ण युद्ध

Kahani: लंका में युद्ध अपने अंतिम पड़ाव पर था। श्रीराम की सेना आगे बढ़ती ही जा रही थी और रावण के अनेकानेक महारथी रण में वीरगति को प्राप्त हो चुके…

Kahani: क्या हम पूर्ण सुखी हैं?

Kahani: पुराने समय में एक राजा था। राजा के पास सभी सुख-सुविधाएं और असंख्य सेवक-सेविकाएं हर समय उनकी सेवा उपलब्ध रहते थे। उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी। फिर…

Kahani: अहंकार की कथा

Kahani: श्रीकृष्ण भगवान द्वारिका में रानी सत्यभामा के साथ सिंहासन पर विराजमान थे, निकट ही गरुड़ और सुदर्शन चक्र भी बैठे हुए थे। तीनों के चेहरे पर दिव्य तेज झलक…

Kahani: पुण्यों का मोल

Kahani: एक व्यापारी जितना धनी था उतना ही दान-पुण्य करने वाला, वह सदैव यज्ञ-पूजा आदि कराता रहता था। एक यज्ञ में उसने अपना सब कुछ दान कर दिया। अब उसके…

कर्मों का फल तो झेलना पडे़गा

भीष्म पितामह रणभूमि में शरशैया पर पड़े थे। हल्का सा भी हिलते तो शरीर में घुसे बाण भारी वेदना के साथ रक्त की पिचकारी सी छोड़ देते। ऐसी दशा में…

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