बस्ती: देश भले ही आजादी के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव मना रहा है, किन्तु मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को गंगा पार कराने वाले निषाद समाज की चुनौतियां कम नहीं हुई। आज भी बहुसंख्यक निषाद अशिक्षा, कुपोषण, बेरोजगारी की चुनौतियों से जूझ रहे हैं। रविवार को यह विचार निषाद चेतना मंच के संरक्षक आर.डी. निषाद ने व्यक्त किया। वे ‘निषाद समाज की चुनौतियां’ विषयक गोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।
अनेक उदाहरण देते हुये आरडी निषाद ने कहा कि चुनाव के समय अनेक राजनीतिक दलों ने निषाद समाज का वोट हासिल करने के लिये अनेक प्रलोभन दिये किन्तु सरकार गठन होते ही उन्हें भुला दिया गया। उन्होंने कहा कि अनेक स्थानों पर पुल बन जाने के कारण अब नाव चलाकर जिविका कठिन हो गई है। मतस्य पालन के क्षेत्र में जब से बड़े पूंजीपति आ गये निषाद समाज के लोग जो नदी, तालाब आदि के स्वामी की तरह थे वे मजदूर बन गये। गरीबी के कारण निषाद समाज में अशिक्षा, अंधविश्वास बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक मजबूती के लिये समाज के जागरूक लोगों को खुद आगे आना होगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षा ही वह हथियार है जिससे निषाद समाज के दिन बहुरेंगे। कहा कि एक वक्त भोजन करिये, गरीबी में रहिये किन्तु अपने बेटे, बेटियों को शिक्षित जरूर करिये तभी निषाद समाज को उनका वास्तविक अधिकार मिल सकेगा। गोष्ठी में शत्रुघ्न प्रसाद निषाद एडवोकेट, राम केवल निषाद, रामचन्दर, डा. पतिराज निषाद, लालमणि निषाद, श्यामलाल आदि ने निषाद समाज के जमीनी समस्याओं को विस्तार से रखा। गोष्ठी में पूर्व सांसद फूलन देवी को याद करते हुये वक्ताओं ने कहा कि अन्याय, उत्पीड़न के खिलाफ फूलन देवी ने जो आवाज उठायी थी उसकी धार कमजोर न होने पाये, यह निषाद समाज की जिम्मेदारी है।
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प्रेस क्लब के सभागार में आयोजित गोष्ठी में राम सागर निषाद, विवेकदास, रामनयन, राम कृपाल, राकेश कुमार, जगन्नाथ मौर्य, राम सलोने निषाद, राम प्रीत, सुनील कुमार, राम बचन, संजय, राजेन्द्र, रामकेश, शिवशंकर के साथ ही निषाद समाज के अनेक लोगों ने हिस्सा लिया।
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