रविंद्र प्रसाद मिश्र
लखनऊ: अलीगढ़ जनपद के एएमयू के बगल बनने वाली राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंच चके हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थोड़ी देर में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर स्थापित होने वाले विश्वविद्यालय की थोड़ी देर में नींव रखने वाले हैं। यहां वह यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के अलीगढ़ नोड और राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय का प्रदर्शनी माडल भी देखेंगे। ऐसे में कुछ जानकारी मिल रही है, जिसमें यह साबित हो रहा है कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह का काबुल से कनेक्शन रहा है।
जानें राजा महेंद्र प्रताप सिंह के बारे में
बता दें कि महेंद्र प्रताप सिंह हाथरस के राजा थे। वह जाट समुदाय से आते थे, यही वजह है कि पश्चिमी यूपी में राजा महेंद्र प्रताप सिंह का काफी सम्मान है। राज महेंद्र प्रताप सिंह ने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के लिए ढाई एकड़ जमीन दान दी थी। ऐसा माना जा रहा है कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय की आधारशिला रखकर भाजपा पश्चिमी यूपी में जाट वोटों को साधने की कोशिश कर रही है। लेकिन सच यह है कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह का नाम केवल राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। राजा महेंद्र प्रताप सिंह अपने पीछे बड़ी विरासत छोड़ गए हैं, जो उनकी पहचान को बरकरार रखे हुए हैं। राजा महेंद्र प्रताप सिंह का आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान रहा है। आजादी का अलग जगाने के लिए उन्होंने 20 से 25 देशों की यात्रा की थी। इसके लिए 31 वर्ष 8 महीने तक वह विदेश में रहे।
इसे भी पढ़ें: लोजपा के सांसद पर रेप का केस दर्ज
शिक्षण संस्थानों के लिए दान की जमीन
शिक्षण संस्थानों के लिए जमीन देने की बात पर राजा महेंद्र प्रताप सिंह हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने बुलंदशहर से लेकर अलीगढ़, हाथरस और वृंदावन में 60 से 70 फीसदी तक अपनी संपत्ति का दान किया था। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए भी जमीन दान की थी। इतिहासकारों ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह के साथ बड़ी नाइंसाफी की है। उनके योगदानों को इतिहास के पन्नों में दबा दिया गया है। जानकारी के मुताबिक प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने अफगानिस्तान जाकर भारत की पहली निर्वासित सरकार बनाई थे। वह निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति थे। 1 दिसंबर, 1915 को राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अफगानिस्तान में पहली निर्वासित सरकार की घोषणा की थी।
ऐसे राजा को जो सम्मान बहुत पहले मिलना चाहिए था, उसे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दे रहे हैं। सियासी गलियारे में प्रधानमंत्री के इस पहल को भले ही सियासी चश्मे से देखा जा रहा हो, लेकिन राम महेंद्र प्रताप सिंह का यही अंतिम सम्मान और श्रद्धांजलि होगी। इसी के बहाने आने वाली पीढ़ियां राज महेंद्र प्रताप के इतिहास और योगदान को जानने की कोशिश करेंगी। इतिहासकारों ने इस महान राजा के साथ जो इंसाफी की है, उसपर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्दा हटाने का काम किया है।
इसे भी पढ़ें: पुण्यतिथि पर याद किये गये राम विलास पासवान