Priyanka Gandhi speech: लोकसभा में शुक्रवार को संविधान के 75 साल पूरे होने के अवसर पर शुरू हुई चर्चा में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने पहले ही भाषण से मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया। प्रियंका गांधी ने जहां एक ओर संविधान की अहमियत पर प्रकाश डाला, वहीं दूसरी ओर बीजेपी और मोदी सरकार पर तीखे हमले किए। उन्होंने उन्नाव, संभल और मणिपुर जैसी घटनाओं का जिक्र करते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया और जातिगत जनगणना की मांग उठाकर सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश की।
संविधान की अहमियत पर प्रियंका का संदेश
प्रियंका गांधी ने संविधान की गहरी अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि हमारे संविधान में हर नागरिक को न्याय, स्वतंत्रता, और समानता का अधिकार दिया गया है। उन्होंने बताया कि यह संविधान सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि एक दिशा है, जो देश के हर नागरिक को अधिकार और ताकत प्रदान करता है। प्रियंका ने बताया कि संविधान के निर्माण में बाबा साहेब अंबेडकर, मौलाना आजाद और पं. नेहरू जैसे महान नेताओं की भूमिका थी, जिन्होंने इस दस्तावेज को संपूर्ण भारत के लिए सशक्त और न्यायपूर्ण बनाने के लिए वर्षों तक संघर्ष किया।
मोदी सरकार पर निशाना
प्रियंका गांधी ने बीजेपी और मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि पिछले 10 सालों में इस सुरक्षा कवच को तोड़ने की कोशिश की गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आरक्षण को कमजोर करने के लिए निजीकरण और लेटरल एंट्री जैसी योजनाएं लागू की गई हैं। प्रियंका ने इस पर भी सवाल उठाया कि यदि लोकसभा चुनाव में नतीजे मोदी सरकार के पक्ष में होते, तो संविधान बदलने का प्रयास भी किया जा सकता था। प्रियंका ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि अगर 2024 में बीजेपी की सीटें कम होती हैं, तो मोदी सरकार संविधान के प्रति अपनी प्राथमिकता दिखाएगी, अन्यथा संविधान का सम्मान नहीं किया जाएगा।
जातिगत जनगणना की मांग और ओबीसी समुदाय को साधने की कोशिश
प्रियंका गांधी ने लोकसभा में जातिगत जनगणना की मांग उठाई और इसे देश की वर्तमान जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना से यह पता चल सकेगा कि किस वर्ग की कितनी भागेदारी है और उनके लिए नीतियां कैसे बनाई जा सकती हैं। प्रियंका ने कहा, “जब पूरा विपक्ष जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाता है, तो मोदी सरकार इसका मजाक उड़ाती है। उनका जवाब होता है, भैंस चुराई, मंगलसूत्र चुराया।” प्रियंका ने इस मुद्दे के जरिए ओबीसी समुदाय के साथ-साथ अपने सहयोगी दलों जैसे सपा, आरजेडी, डीएमके और जेएमएम को भी संदेश दिया, जो जातिगत जनगणना की प्रमुख समर्थक हैं।
महिलाओं के मुद्दे पर प्रियंका का जोरदार बयान
प्रियंका गांधी ने महिलाओं की स्थिति पर भी बात की और कहा कि संविधान ने महिलाओं को शक्ति दी है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि अगर आप नारी शक्ति का प्रचार करते हैं, तो वह कानून क्यों लागू नहीं करते, जो महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करता है। प्रियंका ने यह भी कहा कि नारी शक्ति को वोट में बदलने का काम संविधान ने किया है, और आज वह सत्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, इसे अब सरकार को पहचानना होगा।
संभल और उन्नाव के बहाने यूपी का सियासी समीकरण साधने की कोशिश
प्रियंका गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत में उन्नाव और संभल की घटनाओं का जिक्र किया, जिनमें महिलाओं के साथ अत्याचार और हिंसा का शिकार होने वाली घटनाओं ने प्रदेश को दहलाया था। उन्होंने उन्नाव की उस घटना का जिक्र किया जब एक रेप पीड़िता को जलाकर मार दिया गया था। प्रियंका ने कहा कि जब वह पीड़िता के परिवार से मिलने गईं, तो उसके पिता ने उनसे कहा था कि “मैं न्याय चाहता हूं।” प्रियंका ने संभल में हुई हिंसा का भी जिक्र किया, जहां पुलिस ने एक दर्जी के पिता को गोली मार दी, और उनके बच्चों ने प्रियंका से कहा कि वे बड़े होकर डॉक्टर बनना चाहते हैं, अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए। प्रियंका गांधी ने इन घटनाओं के बहाने यूपी के सियासी समीकरण को साधने की कोशिश की है। उन्होंने सख्त शब्दों में कहा कि मोदी सरकार को प्रदेश में हुए इन हिंसक घटनाओं पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। प्रियंका का इशारा इस बात की ओर था कि कांग्रेस 2024 और 2027 के चुनावों में उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी स्थिति को मजबूत करने की योजना बना रही है।
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अडानी के बहाने मोदी सरकार पर हमला
प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि देश की सारी संपत्ति और संसाधन एक ही व्यक्ति, यानी अडानी को दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “जो गरीब है, वो और गरीब हो रहा है, और जो अमीर है, वह और अमीर हो रहा है।” प्रियंका ने कहा कि देश की सरकार अब सिर्फ अडानी के लाभ के लिए काम कर रही है और आम लोगों के हितों को नजरअंदाज कर रही है। प्रियंका गांधी का यह पहला भाषण बेहद महत्वपूर्ण और सियासी दृष्टिकोण से प्रभावी था। उन्होंने जहां एक ओर मोदी सरकार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए, वहीं दूसरी ओर जातिगत जनगणना, महिलाओं के अधिकारों और संविधान के प्रति सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। इस भाषण ने न केवल बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि प्रियंका गांधी 2024 के चुनावों में अपने सियासी दबदबे को बढ़ाने के लिए हर कदम उठा रही हैं।
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