नई दिल्ली: कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुआ किसानों का आंदोलन अब खुद ही मुद्दा बना गया है। देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसान अपने नुकसान होने के अंदेशे के चलते इतना बड़ा व लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलनकारी वही किसान हैं जिन्होंने किसानों के वास्तविक मुद्दों को लेकर आज तक कभी प्रदर्शन नहीं किया। किसानों को मिलने वाले सरकारी लाभ का बंदरबांट होता रहा मगर ये किसान संगठन कहीं नजर नहीं आए। आर्थिक तंगी के चलते कई किसानों ने आत्महत्या तक कर ली, लेकिन एसयूवी में घूमने वाले प्रदर्शनकारी किसानों ने इसके लिए कभी प्रदर्शन नहीं किया।
लेकिन विपक्ष के कहने पर कि नए कृषि कानून के लागू होने से उनकी जमीनें छीन ली जाएगी। इस पर किसान लगभग सालभर होने को आ रहा है, उनका प्रदर्शन जारी है। किसान इस कानून में किसी तरह के संशोधन करने की जगह वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। किसानों के प्रदर्शन का आलम यह है कि दिल्ली से सटे टिकरी, सिघु व गाजीपुर बार्डर पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में है। इन राष्ट्रीय राजमार्गों पर महीनों से यातायात बाधित है।
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किसानों के इस मनमानी पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी नाराजगी जाहिर कर चुका है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पत्रिका को दिए इंटरव्यू में विपक्ष पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने विपक्ष पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए कहा यह किसानों के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि अब तक की सरकारें सत्ता के लिए सरकार चलाती थीं, लेकिन अब सरकार जनता के लिए चल रही है।
उन्होंने कहा कि जो लोग किसान हितैषी कानूनों का विरोध कर रहे हैं उनपर गौर करें तो आपको उनमें बौद्धिक बेइमानी और राजनीतिक धोखेबाजी का असली मतलब दिख जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार छोटे किसानों को सशक्त बनाने में लगी हुई है। लेकिन जो लोग आज तक उनका हम मार रहे थे उन्हें यह हजम नहीं हो पा रहा है।
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