

निशाना लगाया अचूक,
फिर भी साला गया चूक।
आया कैसा भूचाल,
जितने हम थे वाचाल,
उतना है बुरा हाल।
हम फेल हो गए,
पटरी से उतरी रेल हो गए,
टूटी हुई गुलेल हो गए।
खुल गई सारी पोल,
हो गया डिब्बा गोल,
बज न पाया खानदानी ढोल।
बांहें चढ़ी की चढ़ी रह गईं,
निगाहें तनी की तनी रह गईं।
टांगें खड़ी की खड़ी रह गईं,
जेबें फटी की फटी रह गईं।
जीवन फूटा बुलबुला हो गया,
सुनामी का जलजला हो गया।
हाय, इटली का टिकट कराकर,
अपना तो चली-चला हो गया!
इसे भी पढ़ें: पप्पू ज्यादा बोल रहा है
इसे भी पढ़ें: बिन कान में लपेटे