Muzafarnagar: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत के बाद देशभर में आक्रोश देखा जा रहा है। इसी के तहत शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में हिंदूवादी संगठनों द्वारा एक जन आक्रोश रैली का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। आरएसएस और बीजेपी के कार्यकर्ताओं की भी इस रैली में भागीदारी रही।

हालांकि रैली के दौरान उस समय तनाव की स्थिति बन गई जब किसान नेता राकेश टिकैत मंच पर पहुंचे। जैसे ही उन्होंने भाषण शुरू करने की कोशिश की, कुछ लोगों ने नारेबाजी कर उनका विरोध करना शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि बीजेपी और आरएसएस से जुड़े कार्यकर्ता राकेश टिकैत की उपस्थिति से नाराज़ थे।

टिकैत पर हमला नहीं, लेकिन विरोध तीखा

हंगामे के बीच राकेश टिकैत को मंच छोड़कर वापस लौटना पड़ा। उनके पीछे भीड़ ने नारेबाजी करते हुए काफी दूर तक उनका पीछा किया। हालांकि मौके पर मौजूद भारतीय किसान यूनियन (BKU) के कार्यकर्ताओं और पुलिस बल ने उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इस बीच भीड़ ने देश की पगड़ी उछालने वाले राकेश टिकैत की पगड़ी को हवा में उछाल दिया। राकेश टिकैत की पगड़ी उछालने का मामला तूल पकड़ने लगा है। ऐसे ही मौके की तलाश में घात लगाए समाजवादी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने मामले का लेकर विरोध शुरू कर दिया है।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज

शिवसेना नेता बिट्टू सिखेड़ा और हिंदूवादी संगठन के एक अन्य कार्यकर्ता शरद कपूर ने टिकैत का समर्थन करते हुए आरोप लगाया कि यह विरोध जानबूझकर बीजेपी समर्थकों द्वारा कराया गया। उनका दावा है कि बीजेपी ने रैली को अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए हाइजैक कर लिया। राकेश टिकैत ने भी विरोध को सुनियोजित बताया और आरोप लगाया कि कुछ लोगों को शराब पिलाकर रैली में हंगामा करवाया गया। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य शहीदों को श्रद्धांजलि देना और जनता के साथ खड़ा होना था।

इसे भी पढ़ें: इंदिरा ने रची थी सदी की सबसे बड़ी जातीय छंटनी की साजिश

ट्रैक्टर रैली और महापंचायत की तैयारी

राकेश टिकैत ने ऐलान किया कि इस घटना के जवाब में जल्द ही मुजफ्फरनगर से एक बड़ी ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी। इसके अलावा आज शनिवार को मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में एक किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत, सांसद हरेंद्र मलिक, विधायक राजपाल बालियान और अन्य राजनीतिक व किसान नेता इस महापंचायत में शामिल होंगे। नरेश टिकैत ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि किसी का राष्ट्रभक्ति पर एकाधिकार नहीं है, और किसानों की आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता।

इसे भी पढ़ें: शब्द हिंसा का बेलगाम समय!

Spread the news