आचार्य विष्णु हरि सरस्वती
रामकथा वाचक मोरारी (Morari Bapu) बापू सही अर्थों में धर्मनिरपेक्ष और अति दयालु हैं। ये सांप को भी दूध पिलाने से पीछे नहीं हटते हैं। भस्मासुरों और हिंसक तथा काफिर मानसिकता से ग्रसित लोगों के लिए मसीहा हैं। इसके साथ ही साथ वे महान सेक्युलर भी हैं। जो काम कम्युनिस्ट और मुस्लिम नहीं कर पाते हैं, वह काम सीधे तौर मोरारी बापू (Morari Bapu) चुटकी बजा कर जाते है। उनके इस गुण और परोपकार की चर्चा मुस्लिम और कम्युनिस्ट जगत में खूब होती है।
रामकथा से मोरारी बापू (Morari Bapu) की किस्मत चमकी। फटेहाल से एयरकंडिशनर जिंदगी के वाहक बन गये। इनकी राम कथा ऐसी चली कि इन पर धन वर्षा अपार होने लगी। जब तक इन पर धन की वर्षा नहीं होती थी, तब तक मोरारी बापू हिंसक, सेक्युलर और काफिर मानसिकता वालों से दूर थे। इस दौरान भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण इनके अराध्य थे। लेकिन जैसे ही इन पर धन की वर्षा होने लगी, वैसे ही ये काफिर मानसिकता और हिंसक मानसिकता के लोगों के निकट हो गये। उनके लिए मसीहा बन गये, दानकर्ता बन गये, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इस्लाम के प्रचारक भी बन गये।
रामकथा से हर साल इनकी करोड़ों की कमाई होती है। एक-एक रामकथा के लिए करोड़ों की फीस लेते हैं। इनकी रामकथा कराने वाले कट्टर हिन्दू होते हैं, खासकर बनिये होते हैं। बनिये इन पर करोड़ों लूटाने से कभी भी पीछे नहीं होते है। व्यक्तिगत तौर पर भी इन पर धन की वर्षा होती है। पर अपने करोड़ों रुपयों का इस्तेमाल हिन्दुत्व की जागरूकता, हिन्दू संगठनों की मदद करने, हिन्दू एक्टिविस्टों को मदद करने के लिए कभी नहीं करते हैं। पर मुसलमानों के लिए इनकी झोली हमेशा खुली होती है। हर साल मुसलमानों को हज यात्राएं कराते हैं। मुसलमानों को अन्य सुविधाएं देते हैं। कहा जाता है कि हर साल हज यात्रा पर मोरारी बापू लाखों रूपये खर्च करते हैं। मुसलमानों को हज यात्रा करने के लिए आर्थिक मदद देने वाले चेक देते हुए इनकी तस्वीर हमेशा अखबारों में छपती रहती है। मोरारी कहते है कि हज यात्रा कराने से उन्हें शांति मिलती है, सुख मिलता है, उनकी मजहबी इच्छाएं संतुष्ट होती है। इसके अलावा मोरारी बापू व्यक्तिगत तौर पर भी मुस्लिमों की मदद करते रहे हैं। मुस्लिम संगठनों के लिए मोरारी बापू का दरबार और घर हमेशा खुला रहता है।
इस्लामिक संस्कृति के लिए मोरारी बापू पूरी तरह से समर्पित हैं। अपने कंधे पर काला गमछा रखते हैं। इसके अलावा राम कथा के दौरान ये कौव्वाली भी कराते हैं, मौल्ला ओ मौल्ला का पाठ भी कराते हैं। ये कहते हैं कि सभी को मौल्ला में विश्वास रखना चाहिए। इसलिए इनकी रामकथा में बकरी दाढी, छेदा टोपी और बड़े भाई का कुर्ता और छोटे भाई के पायजामा पहने हुए शांति प्रिय लोगों की भीड़ भी होती है। भगवान राम और भगवान कृष्ण के प्रति इनकी अपमानजनक धारणाएं भी उजागर है। इन्होंने गुणवत राय की पुस्तक की प्रस्तावना लिखी थी, दो शब्द की औपचारिकताएं निभायी थी। अपने प्रस्तावना में उन्होंने सहमति दी थी कि भगवान राम काल्पनिक पात्र हैं।
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भगवान श्रीकृष्ण को उन्होंने शराबी कह दिया। भगवान श्रीकृष्ण को शराबी कहने पर कई लोगों की धार्मिक भावनाएं भी आहत हुई थी और अपमानित हुई थी। गुजरात में एक श्रीकृष्ण भक्त और भाजपा के पूर्व विधायक ने मोरारी पर हमला बोल दिया था। भाजपा के ही सांसद ने उस हमले में मोरारी बापू की रक्षा की थी। मोरारी बापू अकेले ऐसे संत हैं, जिन्होंने अपने आराध्य देव को काल्पनिक पात्र बता दिया। जिस राम कथा से उनकी किस्मत चमकी उसी राम को उन्होंने झूठा और कल्पना पर आधारित बता दिया। फिर भी लाखों हिन्दुओं के लिए मोरारी बापू आईकॉन और वंदनीय है। इसी कारण हिन्दू पतीत और नष्ट होने के कगार पर पहुच गया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
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