Madhumita Shukla Hatyakand: उत्तर प्रदेश शासन ने कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड (Madhumita Shukla murder case) में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमिता त्रिपाठी को रिहा करने का आदेश दिया है। सूत्रों की मानें तो राज्यपाल की अनुमति पर कारागार प्रशासन विभाग ने इसका आदेश जारी किया है। मधुमिता शुक्ला हत्याकांड (Madhumita Shukla murder case) में दोषी करार दिए जाने के बाद अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी लंबे समय से जेल में बंद हैं। बता दें कि लखीमपुर मूल निवासी कवियत्री मधुमिता शुक्ला का 9 मई, 2003 को लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। फिलहाल करीब 20 साल बाद अमरमणि त्रिपाठी जेल से बाहर आएंगे।
मधुमिता हत्याकांड (Madhumita Shukla murder case) के बाद उत्तर प्रदेश में सियासी भूचाल आ गया था। क्योंकि इस हत्याकांड में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी का नाम जुड़ गया और जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी मामले पर सियासी रंग चढ़ता चला गया। प्या र, धोखे और सियासत की वजह से मामला काफी चर्चित हो गया। लखीमपुर खीरी की रहने वाली मधुमिता शुक्लाा वर्ष 1999 में उभरती हुई कवयित्री के रूप देखी जा रही थीं। वह काफी तेजतर्रार युवा लेखिका थीं और राजनीतिक दिग्गजों के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों को खुलकर उठाती थीं। बहुत कम समय में ही मधुमिता शुक्ला कई कवि सम्मेलनों के साथ-साथ राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए पसंदीदा बन गई।
जानकारी के मुताबिक, मधुमिता शुक्ला की नवंबर, 1999 में अमरमणि त्रिपाठी से मुलाकात हुई। उस समय अमरमणि त्रिपाठी गोरखपुर के नौतनवा विधानसभा से विधायक थे। वह कल्याण सिंह और राम प्रकाश गुप्ता की सरकारों में उनका पहले से वर्चस्व था। अमरमणि त्रिपाठी की गिनती ‘बाहुबली’ नेताओं में होती थी। उस दौर की सियासत में वह हर बदलती सत्ता का महत्वंपूर्ण हिस्सा हुआ करते थे। वह लगातार छह बार विधायक भी चुने गए। अमरमणि की रसूख को इसी से समझा जा सकता है विरासत को ऐसे समझा जा सकता है, जिन्होंने जेल में रहते हुए चुनाव जीता था। उत्तर प्रदेश में जेल से चुनाव जीतने वाले अमरमणि त्रिपाठी पहले नेता थे।
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अमरमणि से मुलाकात के बाद दोनों इतने करीब आ गए कि मधुमिता कब गर्भवती हो गईं, इसका पता ही नहीं चला। इसकी जानकारी होने के बाद दोनों के प्यार में दरार पड़नी शुरू हो गई। मधुमिता अपने रिश्ते को नाम देना चाहती थीं, जबकि अमरमणि त्रिपाठी शादीशुदा थे। 9 मई, 2003 को मधुमिता और अपने घरेलू सहायक देशराज लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी स्थित घर में थी, तभी दोपहर करीब 3 बजे दो लोग आते हैं। उनमें से एक ने अपना नाम सत्य प्रकाश बताते हुए कवयित्री मधुमिता शुक्ला से मिलने की मांग की। इसके बाद देशराज अंदर गया और मालकिन मधुमिता को उन दोनों व्यक्तियों के बारे में बताया। मधुमिता बाहर आईं और उन्हें कमरे में बैठने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने देशराज से चाय बनाने को कहा। देशराज जब चाय लेकर आया तो मधुमिता ने उसे किचन में भेज दिया। थोड़ी देर बाद तेज धमाके की आवाज सुनकर देशराज कमरे में वापस आया तो उसने देखा कि मधुमिता खून से लथपथ जमीन पर पड़ी थीं और वो दोनों व्यक्ति गायब थे।
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