लखनऊ: कोरोना की तीसरी लहर आएगी, इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस लहर में उन्हीं लोगों के संक्रमित होने की ज्यादा आशंका है, जिनका अभी तक वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है। तीसरी लहर में बच्चे अधिक संक्रमित होते भी हैं तो उनमें ठीक होने की दर अधिक होगी। ऐसे में अभिभावकों को तीसरी लहर की आशंका से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। उक्त बातें मुख्य वक्ता केजीएमयू के चिकित्सक डा. सुधीर सिंह ने मंगलवार को सरस्वती कुंज निरालानगर स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में आयोजित ‘बच्चे हैं अनमोल’ कार्यक्रम के 27वें अंक में कहीं। इस कार्यक्रम में विद्या भारती के शिक्षक, बच्चे और उनके अभिभावक सहित लाखों लोग आनलाइन जुड़े थे, जिनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।
केजीएमयू के चिकित्सक डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से पहली बार हमारा सामना हुआ, इसके लिए हम तैयार नही थे। हालांकि दूसरी लहर इतनी भयावह होगी, इसका अंदाजा नहीं था। इसके लिए कहीं न कहीं हम स्वयं जिम्मेदार थे। उन्होंने कहा कि दूसरी लहर में हुई गलतियों से सीख लेते हुए हमें तीसरी लहर आने से पहले ही अपनी पूरी तैयारी रखनी होगी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। बच्चों पर संक्रमण के प्रभाव को लेकर उन्होंने कहा कि शोध में यह बात निकलकर समाने आई कि इससे बच्चों की मृत्यु दर बेहद कम है। उन्होंने कहा कि बच्चों की अपेक्षा वयस्कों में मृत्यु दर अधिक होने के कारण सबसे पहले वयस्कों का टीकाकरण करने का फैसला लिया गया।
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उन्होंने कहा कि तीसरी लहर में उन्हीं लोगों के संक्रमित होने की आशंका अधिक है, जिनका अभी तक वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि यदि तीसरी लहर में बच्चे अधिक संक्रमित होते भी हैं तो उनमें ठीक होने की दर अधिक होगी। ऐसे में अभिभावकों को तीसरी लहर की आशंका से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। प्रतिरोधक क्षमता को लेकर आ रहे सर्वे पर डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि इस पर ध्यान न दें, क्योंकि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीनेशन एक मात्र तरीका है।
कोरोना काल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा किए सेवाकार्यों को लेकर कार्यक्रम अध्यक्ष अमितेष विभाग कार्यवाह आरएसएस लखनऊ विभाग ने कहा कि भारतीय संस्कृति और हिन्दू समाज के संस्कार अपने साथ-साथ समाज के हित की चिंता करना सिखाता है और इस संस्कार को विकसित करने का कार्य संघ करता है। जिसके कारण स्वयंसेवक अपनी जान की परवाह किए बिना देश और समाज की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
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इसी भावना को लेकर कोरोना काल खंड में जरूरतमंद लोगों को एक बड़े पैमाने पर भोजन, दवाएं और अन्य सेवायें पहुंचाने का कार्य किया जा सका। इस सेवा कार्य में कई संगठनों व लोगों का भी सहयोग संघ को प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में शिक्षा बाधित न हो इसे लेकर संघ के कार्यकर्ताओं ने अपने घर के आस-पास के विद्यार्थियों को इककट्ठा करके शिक्षण कार्य भी किया। इसके लिए कई स्थान पर संस्कार केंद्र भी खोले गए। जिसके हमें अच्छे परिणाम देखने को मिले। उन्होंने कहा कि भारत ने पहले भी कई महामारियों का सामना किया है। तब वर्तमान की तुलना में देश में उतने साधन नहीं थे किन्तु उस विकट परिस्थितियों से देश बाहर आया है। हमारी संस्कृति भी मनोबल गिराने वाली नहीं है। इसलिए हमें अपने मनोबल को गिरने नहीं देना चाहिए, बल्कि इस समस्या का डटकर सामना करना चाहिए।
विशिष्ट वक्ता योगेश मिश्र कॅरियर एंड लाइफ कांउसलर ने कहा कि विद्या भारती ने डिजिटल एजुकेशन के क्षेत्र में बहुत बड़ा कार्य किया है। कोरोना काल में विद्या भारती ने भैया बहनों को घर बैठे ऑनलाइन संस्कारयुक्त शिक्षा देने का काम किया। इस महामारी में बच्चों को सुरक्षित व संस्कारित शिक्षा देने के लिए डिजिटल शिक्षा के अलावा और कोई अन्य विकल्प नहीं है, इसलिए इसको और अधिक तकनीकि के साथ जोड़ना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक बच्चों को इसका लाभ मिल सके।
कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम में बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर, सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे, शुभम सिंह, अतहर रजा, अभिषेक सहित डिजिटल टीम के कर्मचारी मौजूद रहे।
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