
डॉ. राजीव मिश्र
2023 में अमेरिकी बीयर कम्पनी बडवाइजर ने एक ऐड कैम्पैन में कुछ वोक एजेंडा घुसाया, तरकीब उल्टी पड़ गई और अमेरिका ने बड लाइट का बायकॉट कर दिया। कम्पनी घुटनों पर आ गई। अभी अमेरिका में कुछ वैसी ही स्थिति टेस्ला के साथ है। एलन मस्क के डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन दिए जाने से नाराज वामपंथियों ने टेस्ला के बॉयकॉट की मुहिम छेड़ी हुई है। लेकिन समस्या यह है कि किसी चीज का बायकॉट करने के लिए आपको उसका कस्टमर होना होगा।
वेलफेयर स्कीम के लिए चीखते चिल्लाते वामपंथियों की औकात एक लाख डॉलर की सायबरट्रक खरीदने की तो है नहीं, तो उनके बॉयकॉट से कोई फर्क नहीं पड़ना था। लेकिन वामपंथियों के पास एक ब्रह्मास्त्र है, संगठित प्रायोजित हिंसा। तो उनकी प्रायोजित भीड़ ने ब्ल्यू स्टेट्स यूएस, यूरोप और कनाडा में टेस्ला के शो रूम पर हमला किया, आगजनी की। लेकिन इससे बढ़कर उन्होंने टेस्ला कारों के मालिकों को निशाना बनाया, और कहीं भी टेस्ला कार खड़ी दिखी तो उसमें खरोंच मार कर उसके वीडियो सोशल मीडिया पर डाले।
उसका नतीजा यह हुआ कि लोगों में यह डर बैठ गया कि अगर वे टेस्ला खरीदेंगे तो उन्हें कोई नुकसान पहुंचा जाएगा। साथ ही टेस्ला की कारों के इंश्योरेंस बढ़ गए। सामान्यतः एक व्यक्ति दुश्मन बनाने से डरता है। वामपंथियों ने लोगों के इस डर का फायदा उठाया, बिल्कुल मामूली कॉस्ट पर। रैंडम लो लेवल वायलेंस एक बेहद कॉस्ट इफेक्टिव स्ट्रेटजी है। इसमें शत्रु परेशान तो होता है, पर इतना डेस्परेट नहीं होता कि काउंटर वायलेंस करने की सोचे। उसके पास इतना छोड़ दिया जाता है कि वह उसे बचाने की सोचे और पीछे हट जाए।
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भारत में भी समुदाय विशेष इसे नाप जोख कर अपनाता है। जब खुले आम दंगे होते हैं तो आप संगठित होते हैं, प्रतिकार करने की सोचते हैं। सामने वाले को भी इसका कॉस्ट उठाना होता है। लेकिन लड़कियों से सिर्फ थोड़ी सी छेड़खानी, थोड़ी सी परेशानी, घर के अंदर हड्डियां फेंक देना या आपकी कार के टायर में ब्लेड मार देना, घर बेच कर इलाके को छोड़ कर चले जाने के लिए इतना ही काफी होते हैं। यह लो कॉस्ट हाई रिटर्न इन्वेस्टमेंट है। पता नहीं किसने किससे सीखा, लेकिन मानवता के शत्रु इसका सटीक प्रयोग सीख गए हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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