आम आदमी पार्टी (आप) का जन्म अन्ना हजारे के आंदोलन से हुआ था। इसने अलग ढंग की राजनीति शुरू करने का दावा किया था। कांग्रेस के साथ सरकार न बनाने की कसम खाई थी। लेकिन दिल्ली में कांग्रेस के सहयोग से पहली बार सरकार बनाई। अपने को छोड़ कर सभी पार्टियों के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। फिर विपक्ष के उन्हीं नेताओं के साथ मंच पर एकता का प्रदर्शन करने लगी। नितिन गडकरी ने मानहानि का दावा ठोंका, तो एक एक-कर सभी से माफी मांग ली। कांग्रेस के साथ सहयोग से आप सरकार ज्यादा नहीं चली, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने इस अल्प समय में उसके सारे दांव पेंच सीख लिए। इसमें तुष्टीकरण का दांव इन्हें खूब पसन्द आया इसमें मुफ्त रेवड़ी जोड़ दी। दुकान चल निकली। इस प्रतिस्पर्धा में कांग्रेस के अस्तित्व पर बन आई। दिल्ली में कांग्रेस का वोट आप के साथ हो गया।
राहुल गांधी की यात्रा का प्रतिकूल प्रभाव हुआ। दूसरी तरफ गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विकास और विचार को प्रमुख मुद्दा बनाया। इन्हीं मुद्दों के बल पर तीन दशकों से भाजपा को वहां सफलता मिल रही है। नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह आदि ने चुनावी सभाओं में इन्हीं मुद्दों को उठाया। भाजपा नेताओं ने परम्परागत वैचारिक मुद्दों के साथ ही विकास और सुशासन के विषय उठाए। यह दिखाने का प्रयास किया गया कि भाजपा अन्य पार्टियों से अलग है।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी आदि सभी दूसरे पाले में एक साथ है। इन सभी दलों के पास विकास का कोई एजेंडा नहीं है। बेहिसाब झूठे वादों से ये लोग मतदाताओं को लुभाने का प्रयास करते है। लेकिन इनकी असलियत अब सामने आ चुकी है। गुजरात में भाजपा पूरी तरह औरों से अलग दिखाई दे रही है। उसके मुद्दे भी अलग हैं। इसमें विकास और सुशासन की प्रबल दावेदारी है। तीन दशकों तक भाजपा ने यहां विकास के मॉडल पर ही जनता का विश्वास कायम रखा है। भाजपा समान नागरिक संहिता पर अडिग है।
भाजपा के अस्तित्व में आने के बाद से ही समान नागरिक संहिता, कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना एजेंडा रहा है। पहले गुजरात में आए दिन दंगे होते थे। आतंकी गतिविधियां हुईं। इन आतंकी गतिविधियों को पालने का काम कांग्रेस कर रही थी। आज आतंकवादी या उनके नेता गुजरात या देश की ओर आंख उठाने की भी हिम्मत नहीं करते। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेना संसद का संकल्प है। वहां के लोग पाकिस्तान के खिलाफ हैं।
गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना रावण से करना भी कांग्रेस के लिए भारी पड़ गया। स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी के संबंध में अपशब्दों का प्रयोग करना अनुचित है। जिस प्रकार के अपशब्दों का प्रयोग कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री के लिए किया है वह उनकी मानसिकता ही नहीं, बल्कि पूरी कांग्रेस की मानसिकता का परिणाम है। कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर बताते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने जो कहा, वह किया होता तो भारत आज दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश होता। भाजपा जो कहती है वह करती है, इसीलिए देश की जनता भाजपा पर भरोसा करती है।
भाजपा ने ध्रुवीकरण की राजनीति कभी नहीं की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकास पर जन संवाद किया है। उन्होंने आदिवासी समाज और उनके विस्तार वाले क्षेत्रों में किए गए कामों को भी गिनाया। देश की प्रथम आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। कांग्रेस ने आदिवासी का सम्मान नहीं किया, लेकिन उन्होंने आदिवासी समाज के प्रेरणास्रोत गोविंद गुरु आदि के सम्मान के लिए काम किए। बिरसा मुंडा की जयंती पर देश में जनजाति गौरव दिवस के रूप मनाने का निर्णय किया।
अंग्रेज के जमाने से आदिवासियों को वन में बांस की खेती करने से रोका जाता था। उन्होंने इस कानून को खत्म कराया, जिससे आदिवासी वनों में बांस की खेती कर आय अर्जित करने में सफल हुए हैं। सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में जनधन के साथ ही वन धन अकाउंट खुलवाए। इससे जंगलें में पैदा होने वाली नब्बे चीजों को सरकार अधिकतम मूल्य देकर खरीदती है। कांग्रेस के लोग ठेकेदारी करते थे, भाजपा के लोग सेवा करते हैं। भाजपा का संकल्प पत्र व्यापक और सर्वस्पर्शी है, जो गुजरात को विकसित होने की दिशा में आगे लेकर बढ़ता दिखाई दे रहा है। उन्होंने लोगों से कहा कि संकल्प पत्र इतना स्पष्ट है कि इससे भाजपा और भी अधिक मतों से जीतने जा रही है।
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75 साल तक कांग्रेस को यह नहीं सूझा कि डॉक्टर और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी देश की मातृभाषा में होनी चाहिए। इस पर काम करना शुरू कर दिया है। अधिकारियों को दौड़ाना शुरू किया है, वहीं भ्रष्टाचार को बिल्कुल बंद कराया है। पहले सरकार तय करती थी कि लोगों का घर कैसा होना चाहिए, लेकिन अब जिसे घर में रहना है, वह तय करता है कि उसका घर कैसा होगा। अब तक देश में इस योजना के तहत तीन करोड़ घर बन गए, जो फुटपाथ और झोपड़ी में रहते थे, उनका घर बना है।
गुजरात में दस लाख पक्के मकान बन गए। सात लाख लोगों ने दिवाली अपने घर में मनाई। आदिवासी पट्टे में दस हजार घर बन गए। देश में इतनी बड़ी महामारी आई थी। सरकार ने गरीब के घर का चूल्हा नहीं बुझने दिया। कोई बच्चा भूखा नहीं सोए यह चिंता की। तीन साल से अस्सी करेाड़ लोगों को मुफ्त अनाज पहुंचाया गया। भरुच में साढ़े आठ लोगों के घर में चूल्हा नहीं बुझने दिया।
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इसके बाद वैक्सीन की व्यवस्था की और लोगों की जिंदगी बचाई। भाजपा सरकार ने एक साथ पूरे देश में वैक्सीन पहुंचाई। दुनिया बदल रही है, लोगों को बुनियादी सुविधाओं के साथ अब मोबाइल चाहिए। इसलिए केन्द्र सरकार डिजिटल इंडिया के मिशन को लेकर चली है। इसका उद्देश्य सभी को डिजिटल माध्यम में सशक्त बनाना है। भारत में मोबाइल डेटा दुनिया के देशों से सस्ता है। इसके कारण लोगों को बड़ी मात्रा में रोजगार मिल रहे हैं। देश में चार लाख कॉमन सेंटर इसका उदाहरण है। मोबाइल का उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में होने लगा है। लोग मोबाइल के जरिए शहरों के बड़े चिकित्सकों से घर बैठे इलाज करा रहे हैं। मोदी ने कहा कि अब तो 5जी आ गया है। 4जी और 5जी का अंतर एक साइकिल तो दूसरा विमान के समान है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)