गोरखपुर: लोकतांत्रिक व्यवस्था में सबसे अहम रोल पुलिस का है। लेकिन कुछ नाकारा पुलिसकर्मियों की वजह से पूरी व्यवस्था प्रभावित होती रहती है। गलत तरीके से कमाई में लिप्त ऐसे पुलिसकर्मी यह भूल जाते हैं कि उन्होंने वर्दी किस लिए पहनी है और लोगों को उनसे अपेक्षाएं क्या हैं? ऐसे ही पुलिसकर्मियों में एक नाम गोरखपुर के थाना राजघाट ट्रांसपोर्ट नगर में तैनात थानाध्यक्ष विनय कुमार सरोज का भी आता है। जो इस क्षेत्र में अपने काम से ज्यादा कारनामों को लेकर जाने जाते हैं। जानकारी के मुताबिक लगभग दो साल पुराने मामले में चार महीने से उन्हें विवेचना करने की फुर्सत नहीं मिल पा रही है। जबकि इस मामले में वादी-प्रतिवादी का बयान भी दर्ज किया जा चुका है। बवाजूद इसके थानाध्यक्ष विनय कुमार सरोज को गवाही चार्जशीट लागने का न तो मौका मिल रहा है और न ही इस बात का भान है कि उनकी लापरवाही से पीड़ित परिवार पर क्या बीत रही है।
बताते चलें कि अंबेडकरनगर जनपद के अलीगंज थानाक्षेत्र के पश्चिम टांडा निवासी सुरेंद्र कुमार पांडेय (24) कपड़े का व्यवसाय करता था। इस सिलसिले में वह खलीलाबाद बरदहिया बाजार आता-जाता रहता था। अगस्त, 2019 में वह कपड़ा लेकर बरदहिया बाजार आया हुआ था, लेकिन वह घर नहीं लौटा। काफी इंतजार के बाद जब वह घर वापस नहीं आया तो परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू की और इसकी सूचना अलीगंज पुलिस को भी दिया। दो-दिन बीत जाने के बाद अलीगंज थाने की पुलिस ने इस मामले में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू की। इसी बीच मोहल्ले के एक युवक ने सुरेंद्र के परिजनों को बताया कि उसने राजघाट थानाक्षेत्र के पास से ढेलिए पर वह उसकी लाश ले जाते हुए कुछ लोगों को देखा है। यह युवक यहां पल्लवदारी का काम करता है।
इसके बाद सुरेंद्र कुमार के परिजनों की आशंका खत्म हो गई और वह लाश का पता लगाने में जुट गए। लेकिन दुर्भाग्य से घरवालों को सुरेंद्र कुमार की लाश भी नहीं मिल पाई। वहीं परिजनों को हत्या का मुकदमा दर्ज कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी और कोर्ट के आदेश पर 2021 में टांडा के अलीगंज थाने में दीपक कुमार गौड़ उर्फ गोलू और विक्की गौड़ पर मुकदमा दर्ज किया जा सका।
थाना राजघाट को मिली विवेचना
घटना चूंकि गोरखपुर के राजघाट थानाक्षेत्र का था इसलिए सीजेएम कोर्ट के आदेश पर मामले की विवेचना एसपी अंबेडकर नगर के माध्यम से अलीगंज थाने से ट्रांसफर होकर राजघाट ट्रांसपोर्ट नगर पहुंच गया। मामला 16 मार्च, 2021 को विवेचना के लिए गोरखपुर एसएसपी को ट्रांसफर हुआ था। थाने से सूचना मिलने पर जून महीने में मृतक सुरेंद्र कुमार पांडेय का छोटा भाई रविंद्र कुमार और चाचा परशुराम पांडेय राजघाट थाना पहुंचकर थानाध्यक्ष विनय कुमार सरोज के समक्ष गवाही बयान दर्ज कराया। इसके बाद राजघाट पुलिस ने आरोपियों का बयान भी दर्ज किया। लेकिन बयान दर्ज होने के दो माह बीत जाने के बावजूद भी हत्या जैसे संगीन मामले में थानाध्यक्ष विनय सरोज को विवेचना पूरी करने की फुर्सत नहीं मिल पा रही है।
इस संदर्भ में थानाध्यक्ष विनय सरोज का पक्ष जानने की कोशिश की गई। फोन से संपर्क करने पर उन्होंने बेशर्मी भरा बयान देते हुए कहा कि उनके पास विवेचना करने के लिए ढेरों मामले पड़े हैं। जब मौका लगेगा तब विवेचना की जाएगी। इसके लिए वह किसी के बाध्य नहीं हैं। थानाध्यक्ष का यह बयान यह साबित करने के लिए काफी है कि वह किस लिए इस मामले को अटकाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं पीड़ित परिवार को राजघाट पुलिस की इस हरकत की वजह से इंसाफ मिलने की उम्मीद धुंधली नजर आने लगी है। पीड़ित परिवार का कहना है कि मुकदमा दर्ज कराने से लेकर जांच तक उन्हें इतना संघर्ष करना पड़ रहा है, तो इंसाफ पाने के लिए कितना इंतजार करना पड़ेगा।
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आरोपियों ने कब्जा रखा है घर
मृतक के भाई रविंद्र कुमार और चाचा परशुराम पांडेय ने बताया कि आरोपियों की आपराधिक प्रवृत्ति की जानकारी उन लोगों को नहीं थी। इसके चलते उन्होंने आरोपी दीपक कुमार गौड़ उर्फ गोलू और विक्की गौड़ को रहने के लिए अपना घर दे दिया था। जिसपर बाद में इन लोगों ने कब्जा जमा लिया और खाली करने के लिए जब कहा गया तो धमकाते हुए घर से निकलने के लिए मना कर दिया। इसका मुकदमा चल रहा है। इसी मुकदमे के बाद से गोलू और विक्की लगातार उनके परिवार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
थानाध्यक्ष विनय सरोज की भूमिका संदिग्ध
वहीं पुलिस सूत्रों की मानें तो थानाध्यक्ष विनय सरोज का नाम काफी विवादित रहा है। बावजूद इसके उन्हें थाना मिलता रहता है। वहीं महकमे में यह भी चर्चा है कि एकबार थानाध्यक्ष का आडिट करा लिया जाए तो हकीकत सामने आ जाएगी। विनय सरोज की जितनी आय है उससे चार गुना की संपत्ति वह अर्जित कर चुके हैं। खैर सवाल यह भी है कि इतना सबकुछ होने के बावजूद भी बिजलेंस की नजर उन पर क्यों नहीं पड़ रही है।
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