लखनऊ: कोरोना की दहशत में बच्चों की अन्य गंभीर बीमारियों को नजरंदाज न करें। उसका इलाज करवाएं। इसके लिए आप किसी भी सरकारी अस्पताल के डाक्टर से सम्पर्क कर सकते है। अभिभावक कोरोना को लेकर इतना भयभीत हैं कि बच्चे कोई गंभीर बीमारी जैसे अस्थमा, दिल की बीमारी या अनुवांषिक बीमारी है तो उसको दिखाने के लिए अस्पताल जाते ही नहीं। उक्त बातें मुख्य वक्ता पीडियाट्रिक हेड, केजीएमयू लखनऊ डॉ. माला कुमार ने मंगलवार को सरस्वती कुंज निरालानगर स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में आयोजित ‘बच्चे हैं अनमोल’ कार्यक्रम में कहीं। इस कार्यक्रम में विद्या भारती के शिक्षक, बच्चे और उनके अभिभावक सहित लाखों लोग आनलाइन जुड़े थे, जिनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।
विशिष्ट वक्ता न्याय एवं विधायी मंत्री उ.प्र. सरकार बृजेश पाठक ने कहा कि तीसरी लहर को लेकर दुनिया भर में चिंता व्यक्त की गयी है कि यह बच्चों के लिए ज्यादा घातक साबित होगी। जिसको लेकर सरकार ने सभी जिलों में चिकित्सा व्यवस्था कर रखी है। बच्चों के लिए आईसीयू और उनके लिए पहले से अस्पतालों में बेड आरक्षित कर दिया गया है। दूसरी लहर में अचानक मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण ऑक्सीज़न को लेकर समस्या देखने को मिली थी। जिसको लेकर सरकार ने तय किया है कि जितने भी अस्पताल हैं वहाँ ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाये। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में औषधियों का वितरण कराया जा रहा है।
वैक्सीनेशन पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि जितनी जल्दी देश भर में सभी लोगों का वैक्सीनेशन हो पाएगा, उतनी ही जल्दी हम कोरोना मुक्त हो सकेंगे। मुख्य वक्ता पीडियाट्रिक हेड, केजीएमयू लखनऊ डॉ. माला कुमार ने कहा कि पहली लहर गुजर गयी और जब दूसरी लहर अचानक आयी तो उससे हम घिर गए। पहली और दूसरी लहर में कुल संक्रमण में बच्चों के संक्रमण का प्रतिशत बराबर था दूसरी लहर में संक्रमण का आंकड़ा ज्यादा था इसलिए बच्चे भी ज्यादा संक्रमित हुए। इससे हमारे मन में डर बैठ गया।
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तीसरी लहर आएगी या नहीं आएगी, ये अभी तय नहीं है। डरने की जरूरत नहीं, तैयार रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बच्चों में संक्रमण की संभावना कम है क्योंकि संक्रमण के लिए रिसेप्टर की जरूरत होती है जो सांस की नली में होता है। वयस्कों की तुलना में बच्चों में रिसेप्टर कम पाया जाता है। यदि बच्चे तीसरी लहर में संक्रमित होते हैं तो उनमें सामान्य लक्षण ही दिखाई देंगे ऐसे में उन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। क्योंकि वो अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं। बच्चों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रखें। कोरोना की सभी गाइडलाइंस का सही से पालन करें। उन्होंने कहा कि कोरोना की दहशत में बच्चों की अन्य गंभीर बीमारियों को नजरंदाज न करें। उन्हें डॉक्टर्स को अवश्य दिखाएँ। साथ ही अन्य बीमारियों से बचाव के लिए भी टीकाकारण अवश्य कराएं।
कार्यक्रम अध्यक्ष सेवा कार्य प्रमुख, अवध प्रांत, विद्या भारती पूर्वी उ.प्र. रजनीश पाठक ने कहा कि अभिभावकों को बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए उनमें गुणों को भरना होता है। इस कोरोना काल में अभिभावकों की ज़िम्मेदारी है कि वह बच्चों में इन गुणों को डालें। उन्होंने कहा कि समान्यतया बच्चों की ज़िम्मेदारी शिक्षक और अभिभावक पर होती है। लेकिन कोरोना काल में अभिभावकों को दोनों की ज़िम्मेदारी निभानी पड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में बच्चों की शिक्षा पर प्रभाव पड़ा है। अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा-दीक्षा पर ध्यान देना चाहिए। उनमें गुणों के विकास के साथ-साथ शारीरिक गतिविधियों पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने अभिभावकों से कोरोना की गाइडलाइंस को दिनचर्या में सम्मिलित करने और मोहल्ला पाठशाला के माध्यम से बच्चों के शिक्षण कार्य पर ज़ोर दिया।
कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम में विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे, बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर मिश्रा, अवध प्रांत के प्रदेश निरीक्षक राजेंद्र बाबू, रेडक्रास सोसाइटी के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यानंद पांडेय, शुभम सिंह सहित कई पदाधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।
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